Shraddha Mishra   (© श्रddha miश्रा)
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Joined 13 April 2018


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Joined 13 April 2018
16 AUG 2024 AT 23:01

पहलू मे अपने तूफान बांधती थी
जानता था मै कि वो सब जानती थी

बड़ी अजीब सी शख्शियत थी उसकी
चुप रहकर भी शोर आखो से मचाती थी

बदलती थी हर रोज नकाब चहेरे से अपने
पर रूह को बदल नही पाती थी

छुपाती थी बहुत कुछ दिल मे
पर आखो से अक्सर बोल जाती थी

थी शिकायते जिनसे
उन पर ही अपना हक जताती थी

इंसान ही थी आखिर बहार से जितना पत्थर बनती जाती थी
अन्दर से उतना ही टूटती जाती थी

पहलू मे अपने तूफान बांधती थी
जानता था मै कि वो सब जानती थी

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27 MAY 2022 AT 1:03

यूँ तलाशो न खुद को कल्पना मे मेरी
हर बार नदी मे ईक ही अक्श नही होता

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9 DEC 2021 AT 21:19

दफन हो रही है, उम्मीद कई
शायद कोई सपना, सो गया है
वक्त ने कुचल दी हो, ख्वाहिशे जैसे
न जाने क्या, हो सा गया है

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29 MAY 2021 AT 10:13

दौलत की चाहत रखने वालो
भगवान सिर्फ दौलत ही दे तुम्हे

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24 JAN 2021 AT 23:46

सपने बस सपने होते है
सच नही

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1 APR 2020 AT 23:41

कौन कहता है कि मुहब्बत ईक बार होती है
मै तो देखू उसको जितनी दफा उतनी बार होती है

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27 MAY 2021 AT 10:00

कभी जलाया हमने, तो कभी मिटा दिया
डायरी का वो आखिरी पन्ना
सबकी नजरो से छिपा लिया

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12 APR 2021 AT 22:54

जेहन ने लाखो ख्याल सजाये
पर चाहकर भी तुझे न भूला पाये

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8 APR 2021 AT 22:07

मिट जाती ही जिन्दगी,अपनो को बनाने मे
पर दर्द तब होता है,जब अपने ही कह दे
तुमने मेरे लिए किया ही क्या है?

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3 APR 2021 AT 13:41

वो कहते है कि शब्दो मे जाहिर तो कर
पर ये मुहब्बत है जनाब कभी आँखो से तो पढ

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