हमनें भी बसया था कभी तुम कहो कभी हम यूँ ही कितना वक्त साथ गुजारा था बीते पलों की बस यादें रह जाती क्योंकि जो बीत गया वो बीत गया वो पल फिर कहाँ लौट के आता है
जब भी सफ़र पर निकलना राह में मिलेगें कई गुमराह करने वाले बुध्दि और समझ से कोई फैसला करना यूँ ही कर लेता हैं यकीन किसी पर हर कोई यहाँ अच्छा नहीं निकलता लूट लेते हैं यहाँ लोग अपना कह कर खुद को इतना सस्ता भी मत करना थोड़ा समझ चालाकी तुझमें भी होनी चाहिये इतना बेवकूफ और अच्छा बना कर कहीं पर भी मत निकलना