हमेशा
तुम्हारा साथ पाया है
हर मुश्किलों में थामने को
तुम्हारा हाथ पाया है
मेरे हर गम में
तुमने मुझे सीने से लगाया है
शुक्र खुदा का जिसने
तुझे मेरा हमदर्द बनाया है।-
A close friend is the one who breaks your face, but does not break your trust.
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कहने को तो आज
हमारी मुलाकात हुई,
पर मुझसे ज्यादा उसकी
मेरी मम्मी से बात हुई।— % &-
बढ़ जाएं ग़र राह में कांटे
बन कर मैं परिंदा उड़ जाऊं,
छोड़ के कुछ झूठी ख़्वाहिशें
उम्मीदों का सवेरा मैं बन जाऊं।
कुछ टूटे हुए जज़्बातों की
क़ाबिल-ए मरम्मत बन जाऊं,
चन्द शब्दों की गहराइयों को
लफ़्ज़ों से बयां मैं कर जाऊं।
वो ख़्वाब जो देखे अपनी मंजिल
उसकी एक रात मैं बन जाऊं,
बरसों की पड़ी बंजर ज़मीन पे
उगता एक फूल मैं खिल जाऊं।— % &-
कहने को तो कई रिश्ते है
पर उन सब में सबसे खास है दोस्ती
जो टूटे दिल को भी जोड़ दे
ऐसा एकमात्र इलाज है दोस्ती
रोते हुए चेहरे पर
हंसी का एक लिबास है दोस्ती
लाखों लोगों के अविश्वास में
एक अपने का विश्वास है दोस्ती
बिना बोले हर बात समझ ले
ऐसी अनकही जज्बात है दोस्ती
लड़ कर भी जो ना छोड़े हाथ
ऐसा मीलों का साथ है दोस्ती
चमकते हुए सितारों की
एक प्यारी सी रात है दोस्ती
खुशियों का रंग जो भर दे जीवन में
ऐसा खुशनुमा एहसास है दोस्ती
इस दुनिया में हर किसी की
असीम तलाश है दोस्ती।।— % &-
एक दिन मैं लिखूंगी तुम पर
सबसे सुंदर कविता,
जिसमें जिक्र होगा
तुम्हारी खूबसूरत आंखों का,
जिसमें विस्तार से वर्णन होगा
तुम्हारी मुस्कुराहट का;
जो मुझे साहस देती है हर मुश्किल समय में
कविता की पंक्तियों में लिखा जायेगा;
तुम्हारे झल्लाहट और खींझने को भी।
कि कैसे तुम बिगड़ जाते हो
और मानते नही हजारों जतन पर भी।
मैं लिखूंगी उस खूबसूरत कविता में,
कि तुमसे लड़ झगड़ कर ही सही
तुम में उलझे रहना ही प्रेम है।— % &-
तुमसे हम
ये तो पता नहीं
पर तेरे जैसा कोई और फिर मुझे मिला नही
मिले जो तुम , तो मुझे कुछ खास मिला
दोस्त के रूप में अटूट विश्वास मिला
चलता रहे यूंही अपना ये सिलसिला
आए ना कभी हमारे बीच शिकवा-गिला।— % &-
ज़िन्दगी के बस चार कदम
फिर छोड़ेंगे ना साथ कभी
चाहे कितने भी तू करले सितम।
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दिल ने कहा चल आज फिर वहीं
जहां पहले तू घटों बिताया करती थी
अपनी बातों को कविताओं में जताया करती थी।
बस आ गई मैं भी इस दिल की चिकनी-चुपड़ी बातों में
बैठ गई लिखने लेकर कॉपी-कलम हाथों में
सोची चलो करूं बयां अपनी दिल-ए-हाल
पर सामने उसी का चेहरा , उसी का ख्याल
दिल ने कहा अरे कर ना इजहार
कब तक करेगी यूं छुप छुप के प्यार
आज कविता नहीं एक पत्र लिख
चल शुरुवात कर, सबसे पहले प्रिय मित्र लिख
फिर लिख डाल अपने दिल के सारे जज्बात
जो तू करती है महसूस होने से उसके साथ
अनोखे अंदाज में कर अपने प्यार का इजहार
चाह के भी कर ना पाए जिसे वो इनकार।
मैंने कहा-
बस अब चुप हो जा मेरे दिल मेरे यार
क्या होगा अगर मिली मुझे मेरे इश्क़ में हार
नहीं करना मुझे इजहार
मुझे करने दे यूंही छुप छुप के प्यार।।-