मरम्मत करने आया हू अपने आंखों की,
क्योंकी लोग गलत समज लेते है |
मै तो शराफत से देखता हू उन्हे,
और लोग मोहोब्बत समज लेते है |
- श्रमेश बेटकर- SHRAAMESH BETKAR
14 FEB 2018 AT 14:16
मरम्मत करने आया हू अपने आंखों की,
क्योंकी लोग गलत समज लेते है |
मै तो शराफत से देखता हू उन्हे,
और लोग मोहोब्बत समज लेते है |
- श्रमेश बेटकर- SHRAAMESH BETKAR