मुकम्मल हो जाए तो आबाद मोहब्बत ,
हिज्र दरमियां हो तो, बर्बाद मोहब्बत।
कंगन, पायल और सिंदूर से बंधी
कहीं खुले बालों सी, आज़ाद मोहब्बत ।
ज़िंदगी के हर हादसे भूल सकते हो,
मरते दम तक रहती है, याद मोहब्बत।
बंजर जमीं पर भी गुलाब खिल जाए,
हां ! ऐसी होती है, शाद मोहब्बत ।
कहीं ख्याल, कहीं ख़्वाब है 'सहर'
यहां सबकी अलग है, रूदाद मोहब्बत ।
© सहर
- © सहर
24 MAY 2022 AT 15:09