"जलाने से पहले
मृत्यु को सजाया गया
कठिन काम को पहले किया गया"
-एक अनचीन्हा लड़का
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PRAYAGRAJ, INDIA
बूंदों से पूछता हूं बरसने का हुनर,
बादलों में समां जाऊं ,तो कैसा ... read more
तुम जहां तक जानती थी मुझें,
आज भी वहीं तक हूं मैं,
कोई पूछे तो बताना
की जानती हूं उसे...
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"अचानक जाना"
कोई नहीं चाहता था
ना मैं ,ना तुम
फिर
क्यूं तुम जाते वक्त
नहीं गई
कुछ इस तरह,
जैसे एक स्याही ख़तम होती
कलम,
कम करती जाती है
अपनी गाढ़ापन..!!
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जिसके हिस्से में
प्रेम नहीं ठहरता
उसे डुबो लेता है
एक समुद्र
अपने गहरे तल में
जहां,
पनप आते है
इंतज़ार के कई
रंगबिरंगे पौधें..!
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करोड़ों बर्षों से
प्रेम
विद्यमान है
इस पृथ्वी पर ,
मगर आए दिन
दरकार है इसे
एक परिभाषा की..!!-
मैं पहचान सकती हूं
उसे
जिसने मेरी अस्मत लूटी,
मैंने देखा है
उसका भी चेहरा
जिसने मेरी जान बचाई,
पर वो लोग,
जो खड़े होकर सबकुछ
देख रहे थे....
मैं सच कह रही हूं
“ उन्हें नहीं जानती ”
©अश्क
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कभी - कभी
अंधेरा होता हुआ घर,
छोटा होता है
हमेशा
जगमगाती हुईं बहुमंजिलें,
बहुत ऊपर जाती है
घर और बहुमंजिलाओं से कोसों दूर
होती होंगी,
कुछ झोपड़पट्टियां भी
जो पूर्णिमाओं को दिखती होंगी
अमावस को नहीं ..!
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