shoyeb ashkan   (शोएब)
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Joined 6 April 2019


Joined 6 April 2019
30 AUG 2022 AT 9:07


कुछ यू कशीश-नुमा है वो, उनका नज़रे मिलना गजब हो गया...
मौसम पहले ही बेईमान था, उनका ज़ुल्फे लहराना ग़ज़ब हो गया......
हमे तो बस इश्क़ था उनके हक़िक से.......||2||
कम्बख्त, उनके अक्स का रुबरू आना गजब हो गया .....

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9 JUN 2022 AT 21:53

सोचता हूं की.....
ये संगम कैसे हो......
में पंछी-सा आवारा, वो "birdphobia" की पीड़ित बेचारी,
वो coffee के addiction की मारी, में गरम चाय की चुसकारी,
में सूरज सा गर्म मिज़ाज, वो संध्यासी शीतल है,
अरे छोड़ो यार ये संगम ही निर्थल है।।
पर.......
में उसके तलब - ए - दीदार में रोज सुबह निकलू,वो शाम में मेरे लिए जुल्फें लहराए।।
वो तीसरे पहर मुझसे मिले, में बाक़ी तीनों पहर उसे सोच मुस्कुराऊं,
अब न हमारी कहानी अधूरी होगी, चंद लम्हों के लिए ही सही पर वो हर रोज़ वो मेरी होगी ।।

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19 MAY 2022 AT 20:47

जो बेजान पड़ा है बरसो से उसमें शऊर ज़रूर आएगा,
अंधेरों को चीर वो नूर जरूर आएगा,
घिरे हो जुल्म और मायूसी के बदलो में, हौसले बुलंद रखो,
गर फिरौन आया है तो मूसा(P.B.U.H.) भी जरूर आएगा ।।

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5 MAY 2022 AT 16:03

ज़रा बाहर तो आओ, नज़रे तो मिलाओ, थोड़ा मुझे देख मुस्कुराओ तो सही.......
में फिर से बरबाद होना चाहता हु, तुम अपनी जुल्फें लहराओ तो सही.....

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13 MAR 2022 AT 13:07

एक दिन......
मेरी भी एक बहोत ऊंची उड़ान होगी,
लोगोकी बातोमे कम और मेरे खामोशी में वो बात होगी,
चलो आज भले ही तुम ना नावजो मेरी मेहनत को,
वो भी दिन आएगा जब अर्जी तुम्हारी होगी और मेरी सरकार होगी ।।

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13 MAR 2022 AT 12:56

अर्ज़ किया है.....
मैं गुज़ारिश के हर्फ भी हुक्म कि तरहा निभाता चला गया,
राह - ए - मंजिल में औरों को तख्त पर और खुद को तराशता चला गया,
अफसोस के किसी साबुन कि तरहा हो गया था मिजाज़ मेरा,
मैं औरों को निखारता और खुदको घटाता चला गया ।।

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7 FEB 2022 AT 8:16

दो हम
दो जिस्म एक जान
एक कमरा एक मकान होगा कहा करती थी
ना तुम रही
ना जिस्म रहा ना कमरा रहा ना मकान

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20 JAN 2022 AT 18:28

सुनो......
बता दो फिर हमसे क्या चाहती हो,
बाते मीठी कर के फिरसे मेरे इश्क की पनाह चाहती हो,
ठीक तो यहीं है की अब ये सिलसिला यही खत्म हों जाए,
आबाद जरा तुम भी हो जाओ, बर्बाद होने से हम भी बच जाए,
अब हमें मंज़ूर भी हो तो तुम्हे ना ही कह देगे,
एक बार तुमने हमारे अरमान डुबोए थे एक बार हम खुद ही अपने डुबो देगे,
दोस्ती का हाथ भी अब बड़े तो हम हाथ काट लेंगे,
किसी की जरूरत नही हम अपनी खामियां खुद ही छाट लेंगे,
असल तो हम चाहते ही नहीं की हम फिर से मोहोब्बत हो जाए।।

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28 DEC 2021 AT 9:34

वो चलते हैं तो खुशबू से महक जाती हैं जमी,
वो हसदे तो लगता है बरसात हो रही है....
तेरा हुस्न जो देखे मेरी आंखों से ये जहा,
जान देदे ये फूल सारे, खुद-खुशी करले चाॅंद अभी यहा ।।

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27 OCT 2021 AT 21:18

She was wispering something in my ear.....
....And I woke-up

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