ये इश्क नही आसान मुश्किल इसे पाना है
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
SHOURYA...-
दिल के बुरे नहीं साहब कड़वी बेशक जुबान अपनी
तू मेरी नही है इस बात से डरता रहूंगा
तू आएगी इक दिन इंतजार करता रहूंगा
तू मेरी बातो को हमेशा महसूस करती है
तू महसूस करती रह मैं प्यार करता रहूंगा
कभी कभी तुझे मेरी बाते परेशान करती है
बात ना करके खुद को परेशान करता रहूंगा
मैं तेरी सूरत देखता हूं तो तुझे गुस्सा आता है
अब तुझे देखे बिना ही गुजारा करता रहूंगा
मुझे तुझसे बतियाना बड़ा अच्छा लगता है
तू बात करेगी नही तो तस्वीर से करता रहूंगा
तुझे तेरी वो हर खुशी मिले जिसके तू लायक है
खुद मरकर भी तेरे हक में दुआ करता रहूंगा
SHOURYA...-
वो मोहब्बत का कभी इकरार नही करती
हाँ भी नही करती इनकार भी नही करती
इक दिन पूछा मैने अपनी मेहबूबा से बोली
महसूस तो होता है मगर मैं प्यार नही करती
SHOURYA...-
कल रात खुदा ने खेल रचाया
मुझे इक जगह कैद कर आया
फिर आंधी आई तूफान आया
बारिश हुई बादल गड़गड़ाया
तेज हवा का झोंका सा आया
आकार खिड़की से टकराया
पानी की कुछ बूंदे मुंह पर पड़ी
फिर खिड़की के बाहर नजर पड़ी
देखते ही मुरझा हुआ चेहरा खिल आया
सामने देखा तो मेरा यार नजर आया
SHOURYA...
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हां अब भी मैं फरियाद करता हूं
हां अब भी मैं तुझे याद करता हूं
अब तक तुझे यादों में कैद रखा
जा आज तुझे आजाद करता हूं
SHOURYA...-
ये कैसा महबूब है मोहब्बत में
मुझको खुश रखना चाहता है
खुदको खुश रख सकता नही
मुझको खुश रखना चाहता है
सुबह,शाम,दिन,दोपहर,रात
हर वक्त याद करना चाहता है
प्यार,मोहब्बत,उल्फत, हिज्र
बेफिजूल चीजे करना चाहता है
नादां है,पागल है,समझता ही नही
रोशन जिंदगी में अंधेरा चाहता है।
हमसे लोग ढंग से बात तो करते नही
और ये हमसे इश्क करना चाहता है
लगता है दिन पूरे हो गए है इसके
बेवक्त बेमौत ही मरना चाहता है. SHOURYA
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है कई जवां दिलो की धड़कन ये दिल मेरा
जब दिल धड़कता है तो कयामत आती है
और जब कयामत आती है तो वो मुस्काती है
और एक सुहानी खूबसूरत नज्म बन जाती है
SHOURYA...
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यूं बेवजह मुस्कुराना अच्छी बात नही
यूं आकार चले जाना अच्छी बात नही
तुमसे मिलना बिछड़ना अच्छा लगता है
मगर मेरा दिल तोड़ जाना अच्छी बात नही
तेरे लिए यार छोड़े,घर छोड़ा,सब छोड़ा
यूं मुझे तेरा छोड़ जाना अच्छी बात नही
कभी तूने मुझे चाहा कभी चाहा रकीब को
पूरा रकीब का ही हो जाना अच्छी बात नही
जिंदगी काट रहा हूं कि सब कुछ अच्छा है
लेकिन सब अच्छा है ये अच्छी बात नही
तुमने वादा किया था हमसफर बनने का
बीच मझधार में छोड़ जाना अच्छी बात नही
तुम मुझसे मोहब्बत करती हो सब झूठ है
यूं झूंठ पर झूठ बोलना अच्छी बात नही
SHOURYA...
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इक लड़की है प्यारी सी
हर जगह मुझे ढूंढती है
जब था तो बात नही करती थी
अब दूर हूं तो मुझे ढूंढती है
कभी शहर, कभी गली,
ढूंढती है मुझे मनचली
कभी गांव ,कभी खेत
कभी तालाब,कभी,पहाड़
ढूंढती नही तो बस अपने
दिल की गली अपनी रूह में
मेरा ठिकाना तो वही है
वो और उसका अल्हड़पन
मैं भी तो खोजता हूं उसे
कभी अपनी रूह में
तो कभी अपनी सांस में
नब्ज बस इसी आस में
तो चलती है धड़कन भी धड़कती है
क्योंकि वो मुझे ढूंढती है
इस अनजान से शहर में
इस मोहब्बत के सफर में
SHOURYA...
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देखो ये मोहब्बत क्या क्या बहाने बनाती है
कभी घी खिलाती है कभी मक्खन लगाती है
बनती हैं बड़ी नादान किरदार भूल जाती है
कभी पान खिलाती है कभी चूना लगाती हैं
SHOURYA...
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