तुम्हारे प्रेम के दो शब्द से मैं जिंदगी की सरगम लिख दूं
तुम्हारी कांधे पर सर रखकर इक प्यास जो
तुम्हारी और मेरी सांसों में जगती है ना बस वो प्यास पी लूं-
गुरु छांव हैं सुकून है
वो राह जो मंज़िल तक पहुँचने का जुनून है
जिनकी डांट में भी दुआ छिपी हो
जिनकी खामोशियां में भी ज्ञान हो
जिन्होंने उंगली पकड़ चलना सिखाया,
गिर कर उठने का हुनर सिखाया
हर मुश्किल में ढाल हर सवाल का जवाब
जिनकी दृष्टि से हो आत्मज्ञान,
गुरु को मेरा शत-शत प्रणाम।
ये दिन है खास,
सिर्फ शब्द नहीं, दिल से करें एहसास।
हे गुरुवर! आपसे ही है ये जीवन सार,
हो आपका आशीर्वाद रहें उच्च विचार।
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कुछ यादें रखीं है बचा के तस्वीरों में
दूर हो या पास तुम्हारा एहसास हैं हर पल साथ-
शरारतें शोखियाँ दीवानगी तुमसे है
इबादतों की कहानी तुम से है
तुम ही तुम हो हर तरफ
सांसों में रवानगी तुम से है
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अखबार सी हो
जाने कितने किस्से समेटे हुए
समझने की कोशिश किए बिना
बस पढ़ी जाती रही
इस्तेमाल कर
कटी फटी कभी मसली
बस विज्ञापनों में टंगी सी-
ए खुदा तेरे दर पर रहमतों का दौर है
तेरी इबादत में यक़ीनन बरसता नूर ही नूर है
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मेरे भीतर बहुत सारे
प्रश्न उगते रहे
एक मंथन
जो चलता रहा रहा मेरे अंदर
एक अनचाहा युद्ध
जिस में हार निश्चित थी
और मैं लड़ती रही
उस जीत के लिए
जिस के लिए में बनी ही नहीं थी
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मोहब्बत वो एहसास है जो सबके समझने का कमाल नहीं
बस किसी के साथ होने का एहसास हो तो और कोई सवाल नहीं-
तुझे मेरे लफ्जों से मोहब्बत हो
तू हर्फ दर हर्फ पढ़े मुझे
और फिर तुझे मुझ से इश्क हो-
"तुम मेरी नज़र से देखो खुद को,
मेरी मोहब्बत नूर बनकर रौशन करती है तुम्हारे चेहरे को।"
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