यूँ तो प्यारी हैं , सभी भाषाएँ अपनी , पर मातृभाषा हिंदी की बात सबसे निराली । एकता के सूत्र में बाँधे रखा जिसने देश को, सीधी है , सरल है , प्रिय है यह भाषा भाषी को ।
अब छोड़ो विचलित करना , मुझे मेरे ध्येय पथ से , क्यों बोते हो हरदम , संदेह के बीज मेरे मानस में , हाँ , है मुझमें क्षमता ,दक्षता , कि पा सकूँ मैं अपनी मंजिल , पूरे कर सकूँ मैं अपने लक्ष्य , तुम जाओ , मत रोको मेरी राह , मुझे चाहिए आत्मविश्वास अपना हमराह ।।
मुझे रोकते क्यूँ हो , मुझे टोकते क्यूँ हो , कह लेने दो ना , मुझे आज मन की बात । वक्त कम है ,बात लंबी है , कहीं ऐसा न हो कि फ़ना हो जाये मेरी बात , मेरे साथ साथ ।।
तुम्हारी मुस्कुराहट भुला देती है मेरा हर गम , तूझे देख मुस्कुराता , मेरा अकेलापन खो जाता , मेरी हर तकलीफ ,हर शिकवा , हवा हो जाता । तेरी मुस्कान ,देती है मुझे जिंदगी , ऐ मेरी जिंदगी ! तू सदा यूँ ही मुस्कराते रहना ।।
यादों के साये में जीना , है जीते जीते मरना , इससे तो अच्छा है , जीवन की वास्तविकता की , खुली तपती धूप में जलना । यादों के घनेरे सायों में , ज्यादा तपन है हकीकत की धूप से।।,