प्रभु रथ रोको ! क्या प्रलय की तैयारी है बिना शस्त्र का युद्ध है जो, महाभारत से भी भारी है | कितने परिचित कितने अपने, आखिर यूं चले गए जिन हाथों में धन-संभल, सब काल से छले गए हे राघव- माधव- मृत्युंजय, पिघलो, यह विनती हमारी है यह बिना शस्त्र का युद्ध है जो, महाभारत से भी भारी है |