Your life has ended, and it's been 10 years since then,your legacy of wisdom, integrity and courage will go on forever. I miss you, Papa.My father gave me the greatest gift anyone could give another person: He believed in me.”
And that gift is something that will never go away—even after you are not with us. Not only will we cherish the support for many years to come, but also have the opportunity to honor your legacy for coming generations years after years.
The tenth anniversary of Papa death has had me feeling a whole spectrum of emotions – loneliness, despair, anger, worry and fear to name just a few. As the years have passed, I have come to understand that rather than stifling my emotions, I have to allow myself to go through those emotions, even as I experience joy and happiness-
Be Original,Be yourself
जिनसे ख़त्म हो जाती है उम्मीदे ...;
उनसे फिर शिकायत नहीं रहती....!!-
I have tried my level best to read you and understand you and your feelings with emotion
And shared my mine , Perhaps, I am not perfect for you or time is not in our favour-
तेरी यादों के साये हैं हर जगह ,
तू मुझसे बिछड़ कर भी मुझमें ही है ।
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लोग कहते है मरने के बाद ...
हम साथ कुछ नहीं ले जा सकते,
लेकिन मैं लेकर जाऊंगा तुमसे🥰
अगले जन्म में मिलने का ख़्वाब.....😍-
संस्कृति के मान की सम्मान की धरा,
मैं सिर्फ एक देश नहीं एक सोच हूं,
सभ्यतायों में श्रेष्ठ सभ्यता की खोज हूं,
मैं जोड़ने की सोच के ही संग चलूंगा,
अखंड था, अखंड हूं ,अखंड रहूंगा ।।
हर कदम अलग जुबां, अलग ही रीत है,
और तरह तरह के यहां पे गीत है,
मैं प्रीत का ही गीत वो अभंग रहूंगा,
अखंड था, अखंड हूं, अखंड रहूंगा ।।
माना के कई धर्म कई पंथ हैं यहां,
और अलग अलग सभी के ग्रंथ हैं यहां,
फिर भी एकता का स्त्रोत मैं प्रचंड रहूंगा
अखंड था, अखंड हूं, अखंड रहूंगा ।।
कई है लोग, साथ में कई विचार है,
अलग-अलग गुलों की जैसे एक बहार है,
मैं द्वंद्व में भी योग का सुगंध रहूंगा,
अखंड था, अखंड हूं, अखंड रहूंगा ।।
कई वीर जन्में धरती पे मेरी,
कई वीर अमर कहलाये,
उन वीरों की वीरता का घमंड रहूंगा,
अखंड था, अखंड हूं, अखंड रहूंगा-
बहुत गंवाया मैंने तेरी बेखुदी से कभी शोहरत मिली तो कभी बदनामी मिली सिर्फ तेरी नाकामी से
हमने न कभी चाहा था तेरी दुनियां से जुदा होना मगर क्या करूं आप तो खफा थे मेरी नादानी से
हाल अब बद से बदतर हुआ जा रहा है तुझसे दिल लगाने से नुकसान ही हुआ मेरी नादानी से
गैरों से धोखा खाए तो हम संभल गए मगर दोस्ती कर दुश्मनी क्यूं ये न समझ सके अपनी खामी से
चाहें तो ठुकरा दें मर्ज़ी है आपकी मगर कब तक ज़ुल्म जमा होगा अब हम न करेंगे शिकवा तुम्हीं से
बगावत का इल्म हममें नहीं क्या पता था वो दौर भी आएगा जब सामना होगा इक दूजे की नाकामी से
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साथ फेरों का तों नहीं,
लेकिन आत्मा का गठबंधन हैं तुमसे...!!💗-
कमबख्त दिल भी बहुत साजिशे करता है,
ठोकर कितनी भी खाये ख्वाहिश “उसी” की करता है..!!-