Shobha Vyas   (Shobha vyas)
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12 HOURS AGO

कोई साथ देता है तो कोई साथ छोड़ता है.....,
भरोसा दिला कर खुद भरोसा तोड़ता है...!
ये दुनिया भी बड़ी अजीब है मानो यकीं मेरा.....,
तुम्हें समेटने वाला ही यहाँ बिखेरता है...!!

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8 MAY AT 17:52

बन के अंजाने, फिर "कहीं किसी रोज़ मिलों" तुम हमें ,
शिद्दत भरीं निग़ाहों से ,देखो कभी फिर तुम हमें ।

हाल-ए-दिल अपना हम , बताएंगे तुम्हें अब वह ,
पहले ना जानें क्यों बता , ना पाएं तुम्हें हम जो ।

दिल में हलचल थी बहुत, मगर ज़ुबां ये ख़ामोश रहीं ,
देखनें को आतुर थी निग़ाहें , मगर निग़ाहों में लाज रहीं।

सोचते हैं बीता वक्त ज़िंदगी में, हमारे दोबारा आएं ,
आधी-अधूरी हसरतें दिल की ,मिलकर तुझे कह पाएं।

बीता वक्त लौट के दोबारा, ना आएगा जानतें हैं हम,
मगर सच कहें ख्यालों में तेरे, ख़ुद से अंजाने हैं हम।

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8 MAY AT 17:13

गड़बड़ा गए हिसाब किताब सारे,
गिनते नहीं अब आसमां के तारे।
चाहत के पीछे भागते भागते बीती उम्र,
पाया नहीं कुछ भी और बन गए बेचारे।

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8 MAY AT 17:07

कसमें वादे झूठे पड़ गए,
प्रेम पत्र भी धुंधले हो गए।
सामाजिक दायरों में बंधे,
कई प्रेमी जोड़े बिछड़ गए।।

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6 MAY AT 9:37

ख़्वाब हसीन वो दिखातें रहें.....,
आंखें मूंदे ऐतबार हम भी करते रहें...!
बड़ी कशिश थी बातों में उसकी.....,
वजूद अपना ख़ुद ही हम मिटातें रहें...!!

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6 MAY AT 7:27

ना उसकी कहानी में हम रहें,
ना ही उसके किस्से में हम रहें..!
वक्त की विडंबना देखिए साहेब,
उम्र भर उसके हिस्से में हम रहें..!!

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5 MAY AT 19:51

दिल में बसा कर किसी से, ये दिल लगायें ,
"अब दिल नहीं" करता कि ,हम दिल बसायें ।

चोट लगी ऐसी कि, दिल ये मेरा भर गया ,
जानें कितने गमों से दिल ये मेरा गुज़र गया ।

बसा के आशियां दिल में, हमने बिठाया था जिसे ,
पत्थर दिल वो दिलबर मोहब्बत, रास ना आई उसे ।

चैन खोकर बेचैन दिल, ये किया था हमने कभी ,
महबूब के हाथों में भी,पत्थर होते मेहसूस हुआ तभी ।

महफूज़ था अपनी ही, तन्हाइयों में दिल ये हमारा ,
महफ़िल मोहब्बत की,आई ना दिल को मेरे गवारा ।

दिल में बसा कर किसी से, यह दिल लगायें ,
"अब दिल नहीं" करता कि, हम दिल बसायें ।

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5 MAY AT 18:17

हाथ बढ़ा कर गिरे हुए को उठा लेते हैं,
कभी कांधे से मिला कांधा चल देते है..!
होते है इस दुनिया में आज भी कुछ लोग,
जो मुसीबत के वक्त हौंसला दे देते हैं..!!

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4 MAY AT 15:57

अनगिनत पहाड़ों को काटा,
बन,उपवन,जंगलों को जलाया।
इंसानों को ही नहीं खतरा,साहेब
आतंकवाद ने जानवरों को भी सताया।।

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4 MAY AT 15:01

कुछ नज़र अंदाज़ उसने किया....,
कुछ हमने भी दूरियां बनाई.....!
भूमिका दोनों की ही अहम रही....,
तभी रिश्तों की दरार आज खाई हुई...!!

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