shobha rawat   (शोभा रावत ♥️)
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Joined 16 December 2017


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Joined 16 December 2017
15 JUL 2020 AT 14:46

एक गरीब बच्चे के लिए जितनी खूबसूरत कल्पना
रोटी की हो सकती है वैसे किसी और चीज़ की नही,
ठीक वैसे ही जैसे
कवि के लिए उसकी पहली कविता
माँ का अपने बच्चें के स्पर्श को पहली बार महसूस करना
बंजर जमीन पर बारिश की पहली बूँदे
किसान के लिए उसकी पहली फ़सल
लड़की की माँग में पहली बार सिंदूर का भरना
पक्षी का पहली बार पंख फहरा कर उड़ना
एक नोजवान का पहली बार वर्दी का पहनना
वो आँखों का पहली बार सपनों का देखना
केंसर से पीड़ित इंसान का पहली बार wig को लगना
वो बेबाक मन का बीन रोक-टोक के प्रश्न करना
एक अनजान सफर पर चलने के लिए अपने कदमों को पहली बार बढ़ाना
वो बीज का पौधे मे बदलना
वो पहली बार अक्षरों को समझना
वो दिल में दर्द लिए पहली बार मुस्कुराना
वो छोटी नदियों का पहली बार समुंदर में मिलकर अपने अस्तित्व को पूरा करना
कितना ही तो सरल है सब.....!

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3 MAY 2020 AT 11:16

जब कोई चीज़ दुनिया को
नामुमकिन लगे

वही मौका होता है

करतब दिखाने का...!

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26 APR 2020 AT 12:44

कभी बैठे हो कभी खुद के साथ,
बिल्कुल शांति जहाँ अपने दिल की धड़कन भी साफ-साफ सुनाई दे...
कभी तलाशा है ख़ुद को किताबों की उन highlighted lines में,
जिन्हें लगाकर हम भूल गए है...
कभी गए हो उन बचपन की गलियों में वापिस,
जहाँ खुशियाँ मात्र ₹1 की टॉफ़ी से आसानी से मिल जाती थी...
कभी ध्यान दिया है उन सपनों पर,
जो हर नई क्लास में आते ही बदल जाते थे...
कभी पी है वो फुर्सत वाली चाय,
जिसे पीते ही सारी थकान दूर हो जाती थी...
कभी पढ़ा है डायरी के उन पन्नो को,
जहां crush से लेकर अपने दोस्तों के secrets को हमने छुपा रखा था...
कभी डाला है दुबारा उस i-card को अपने गले मे वापिस,
जिसे हम school में अपने आप से अलग नही होने देते थे...
हम बहुत भाग रहे है कभी अपने आप से और कभी दूसरों से।
कुदरत ने हमे वक़्त दिया है,
उन सब चीजों को दुबारा जीने का जिन्हें हम कहीं बहुत पीछे छोड़ आये है..
इतनी फुर्सत हमे फिर कभी नही मिलेगी
चलो तो आज फिर से मिलकर आते है "खुद" से....!

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25 APR 2020 AT 13:13

अगला स्टेशन विधानसभा है-

थोड़े वक़्त बाद ही सही,
मैं खुद से रूबरू होने निकली हूँ।
अगला स्टेशन विधानसभा है,
अब यह सुनकर वह खुशी नही मिलती,
वो दिल♥️ की धड़कन एकदम से काफी
तेज हो जाती थी अब ऐसा नही होता है,
वो दरवाज़े खुलते ही सबसे पहले
अपने बालों को सहलाना,
वो हर एंगल से अपने चहरे को निहारना
अब ऐसा भी नही होता है।
वो escalator और सीढ़ियों के बीच की जंग
कौन पहले ऊपर पहुँचेगा ?
मैं अब चुपचाप escalator use कर लेती हूँ।
वो मेट्रो स्टेशन की seats जहाँ बैठकर हमने maggie से लेकर आँसू और ख़ुशियों को बाँटा था,
याद है तुम्हें?
मैं आज फिर उस लाल दुपट्टे को लिए बैठी हूँ अपने हाथों में,
जो तुमने मुझे कभी ओढ़ाया था।
एक सितरथा सी है मन में,
शायद आज मैंने तुम्हारे ना होने को एहसास को अपना लिया है।
जो आँसू तुम्हारे साथ ना होने की बात सोच कर निकल आते थे, आज वो कहीं गुम है और उनकी जगह एक छोटी सी मुस्कान ने ले ली है।
दुपट्टे को मैंने वापिस अपने बैग में डाल लिया है और में निकल पड़ी हूँ उस सफर में जो कभी हमारा था और आज सिर्फ मेरा....!

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6 APR 2020 AT 15:27

मैं 2020 में 1990 वाला प्यार ढूँढती हूँ...♥️

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6 APR 2020 AT 8:20

ख़ुशियाँ अगर दूसरों में ढूँढोगे तो हमेशा दुख ही मिलेगा,
तो जैसे हो, ख़ुद में खुश रहो...!

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5 APR 2020 AT 11:21

जब तुम खुद मुस्कुराने लगो बिना किसी कारण के,
अकेले बैठ कर करने लगो ख़ुद से गुफ़्तगू
और खुद को जानने लगो और बेहतर तरीक़े से।

रूठने पर ना हो किसी के मनाने का इंतजार,
जब कुछ नया करने को राह ना ताको किसी के हाँ की, अगर कुछ मायने रखे तो तुम्हारी मर्ज़ी..

जब कैद ना रहना पड़े रिश्तों के भवर में और माफी ना मँगनी पड़े उन गलतियों की जो तुमने की ही नही है।

जब तुम औरों के लिए जीने से पहले खुद के लिए जीना सीख जाओ,
जब तुम तोड़ दो उन सारी बेड़ियोँ को जो तुम्हें जकड़े हुये है और उड़ जाओ खुले आसमान में पंछी की तरह बेफिक्र होकर..

तब समझ जाना कि सही मायनो में तुम आज़ाद हो और तुम लडक़ी होकर भी घर की चारदीवारों में कैद होने को नही बनी हो...!

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4 APR 2020 AT 21:22

मैं से हम...

उलझी हूँ थोड़ी सी,
तुम थोड़ा सा सुलझा देना...

गुस्से में रहती हूँ हर वक़्त,
तुम थोड़ा सा मुस्कुराना सीखा देना...

बेपरवाह हूँ दुनियादारी से,
तुम थोड़ा सा परवाहदार बना देना...

फिक्र में रही हूँ हमेशा,
तुम अपने जैसा बेफिक्र बना देना...

काले रंग से मोह्हबत बहुत ज्यादा है,
तुम और रंगों को जीवन का हिस्सा बना देना...

वक़्त पर करे है सभी काम,
तुम थोड़ा बेवक़्त होकर जीना सीखा देना...

बहुत किरदार बदल-बदल कर जी है ज़िन्दगी,
तुम मुझे मेरे किरदार से रूबरू करा देना...

कटी पतंग सी उड़ रही हूँ आसमान में,
तुम पकड़ कर सही दिशा दिखा देना...

अजनबी है सभी यहाँ पर,
तुम हमसफर बनकर साथ निभा देना...

गिरी हूँ इस सफर में बहुत बार,
अब तुम संभल कर चलना सीखा देना...

मैं, बहुत ज्यादा "मैं", में हूँ,
तुम थोड़ी कोशिश करके हम बना देना...!

तुम थोड़ी कोशिश करके हम बना देना...!

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4 APR 2020 AT 7:55

LockDown-

तुमने पहली बार किया है,
मैंने तो सदा से ही लॉकडाउन जीया है....

ये चार दीवारें जो तुम्हें अपने अंदर क़ैद किये हुईं है,
मैंने तो इनका साथ हमेशा ही दिया है....

मुझे रत्ती भर फ़र्क़ नही पड़ता कि
कौन सा होटल बंद है,
कौन सा बाज़ार खुला है,
मेरे लिए तो तुमने लक्ष्मण खिची हुई है सदियों से,
तुमने शायद पहली दफ़ा इसे महसूस किया है...

मैं आज सुकून में हूँ क्यूँकि,
थोड़े वक्त के लिए ही सही पर तुमने मुझे जिया हैं....

यूँ तो बहुत कुछ है जो बायाँ किया जा सकता है,
पर अब मैं तुम्हारे साथ वक्त बिताने में व्यस्त हूँ ।

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20 SEP 2019 AT 19:32

जैसे रात सबके हिस्से में नींद नही लाती
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वैसे ही कामयाबी सभी के हिस्से में सुकून नही लाती..!

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