अच्छा हुआ जो, नासमझ बने रहे हम,
तुम्हारी यादों की पाक़ीजगी
के साथ जी रहें है।
गर समझदार होते तो,
नायाब सी उलझ़नों में घिरकर,
बेवज़ह तुमसें मिलन की आस में बँधे रहतें।
S.B.Manwatkar- Shobha Bapurao Manwatkar
19 OCT 2019 AT 15:29
अच्छा हुआ जो, नासमझ बने रहे हम,
तुम्हारी यादों की पाक़ीजगी
के साथ जी रहें है।
गर समझदार होते तो,
नायाब सी उलझ़नों में घिरकर,
बेवज़ह तुमसें मिलन की आस में बँधे रहतें।
S.B.Manwatkar- Shobha Bapurao Manwatkar