अजीब सी साजिशे हो रही है आजकल हमारे साथ
ऐसे लगता है मै मुझमे कही हूँ ही नही तुम ही तुम बसे हो
मालूम नही यह इश्क की इंम्तेहा है या दिवानगी लेकिन सुकून मिलता है
कु. शोभा मानवक हो
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कभी खुल के बात करो अपने आप को खुश रखा करो...
दिल मे बात दबाने से दर्द बढकर खुद को और दुसरो कों भी तकलिफ होगी...
कु. शोभा मानवटकर...
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इंसान का मिजाज जब बदलता है
तो हर कोई कहता है ये ऐसा ही है...
कोई ये नही समझता की जिंदगी मे
वो कितने हादसो,तकलिफो से गुजरा है...
कु. शोभा मानवटकर...
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खुली आँखो के देखे हूए ख्वाब मे कोई आवाज दे रहा था...
मगर इस दिल को मालूम ही नही चला कि बुलाया कहा था...
कु. शोभा मानवटकर...-
तुम्हारे मुस्कुराते हूए चेहरे को हम कैसे भूल जाये...
जिसके खयालों को सोचकर ये दिल धडकता है...
कु. शोभा मानवटकर...-
सबसे अच्छा जीवन मेहनत और लगन के साथ आगे बढना...
और सादगी, सच्चाई, इमानदारी से देर से सही लेकिन मंजिल तक पहूँचना...
कु. शोभा मानवटकर...-
एक ख्वाब है मेरा कि मिलने की तरह तुम मुझसे मिलो
दूरियां कभी भी पसंद नही मुझे उनसे दूरियां बना लो...
आँखे हो बंद फिर भी बाहो मे महकते गुलाब से खिलो एहसास-ओ-रूह से रिश्ते को इत्र की तरह साँसो मे समां लो...
कु. शोभा मानवटकर..-
तेरी खुशी मे धडकते है दिल से इंतजार के वो पल...
जिनमे सिर्फ खुशियो के सारे मौसम तुम्हारे सपनों के हो कल...
कु. शोभा मानवटकर...-
पिघलते है ख्वाब सारे...
बीते दिनों की रुलाती यादों मे
तन्हाई के रिश्ते हारे...
कु. शोभा मानवटकर...
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आजकल जिंदगी कुछ
अजीब दौर से चल रही है...
कोई पूछता नही है खबर
फिर भी दिल को गम नही...
अफसोस कैसा ये जिंदगी है
जनाब,ऐसे ही चलती है सही...
कु. शोभा मानवटकर...-