6 मार्च 1998 को उसने दुनियां वालों को आपने आने की खुशखबरी दी और आज 6 मार्च 2022 का दिन है पर हम दोनों को समझने वाली मां नहीं रही है 😭
सीने से लगा कर कहा करती थी माँ मुझको,
तू लाल है मेरा न सता ऐसे मुझको
पछतायेगी एक दिन जब मैं चली जाऊंगी,
न चाहते हुए भी अकेला छोड़ जाऊंगी।
ज़माना दिखायेगी गर्मी की शिद्दत तुझको,
याद करके रोयेगी तू फिर मुझको।
मुद्दत से मेरी माँ ने सीने से नहीं लगाया मुझको,
सो चुकी है मिट्टी तले, जब कुछ दिखाना था उसको।।-
लोग नाचने वाली को रण्डी कह रहे थे मगर उस भीड़ में खड़ा हर इंसान मुझे अहमक, बेगैरत, बदतमीज, बद क़िरदार, बद अख्लाक व जाहिल नज़र आया है
नाचने वाली रण्डी है तो देखने वाले फ़रिश्ते नहीं हो सकते हैं ना ?-
हम उस सड़े समाज की बात कर रहे हैं जहां औरत को रहमत, लक्ष्मी, देवी व आधा ईमान का दर्जा दिया जाता हैं तो उसी समाज में औरत को रण्डी, तवायफ व वैश्या का भी दर्ज़ा दिया गया है
औरत से मर्द का जैसा रिश्ता होता हैं वैसा ही इज्ज़त देता हैं क्योंकि सोच अधर्म हो गई है-
ढूंढोगे जब उजड़े रिश्तों में वफ़ा के खजाने
मेरे बाद मेरे हमनामो का भी एहतेराम करोगे-
ये ताल्लुक भी क्या खूब रहा कुछ दिन
तू मेरे नाम से मनसूब रहा कुछ दिन-
शादी में सब पसंद का लाया गया मगर
आपनी पसंद का उसे दूल्हा नहीं मिला-
जाते हुए कमरे के किसी चीज़ को छू दे
मैं याद करूंगा 😢💔😢 तेरे हाथ लगे थे-
पहले से ही इरादा था उसका तोड़ देने का
मैंने उसको दिल दिया और उसने तोड़ दिया-
यह मोहब्बत में अचानक नफरत नहीं होती
लोगों का रवैया बताता है तुम्हें पेश कैसे आना हैं-