Shlok Verma   (Shlok Verma)
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Kuchh Khwaab aur mai bsss
Instagram- @tomshlok
Add me on Snapchat! Username: shlok9053
Joined 16 December 2020


Kuchh Khwaab aur mai bsss
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18 MAR 2023 AT 23:10

Pooji jaati hain Maa Kalika,
Vaishyaon ke angan ki mitti se..
Ki bs ek ye hi sachchhi hain,
Warna hum aap kya??
Hai Chehre pe koi roop,
koi or hi bheetar se ..

पूजी जाती हैं मां कालिका,
वैश्याओं के आंगन की मिट्टी से।।
कि बस एक ये ही सच्ची हैं,
वर्ना हम आप क्या?
है चेहरे पे कोई रूप,
कोई और ही भीतर से।।
#tomshlok

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18 MAR 2023 AT 22:56

Pooji jaati hain Maa Kalika,
Vaishyaon ke angan ki mitti se..
Ki bs ek ye hi sachchhi hain,
Warna hum aap kya??
Hai Chehre pe koi roop,
koi or hi bheetar se ..

पूजी जाती हैं मां कालिका,
वैश्याओं के आंगन की मिट्टी से।।
कि बस एक ये ही सच्ची हैं,
वर्ना हम आप क्या?
है चेहरे पे कोई रूप,
कोई और ही भीतर से।।
#tomshlok

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14 JUL 2022 AT 3:56

चुभती हैं हर तलब उसकी यादें,
मगर अफसोस,
उसे कोई असर नहीं।

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8 JUL 2022 AT 4:45

तुम सिर्फ तब तक खूबसूरत हो,
जब तक मैं तुम्हें देखता हूं।
वरना तुम सिर्फ एक आम सी लड़की,
जिसमें कुछ खास नहीं दिखता...

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30 JUN 2022 AT 16:18

Nafraton ka ye ajeeb daur hai...
Jisko chaha tha tha kabhi,
Haan nafrat usi se ho gayi..
Aur jis hatheli ko,
kumhar ki chak samjhe dil diye,
Vo kasai ki lahuluhan takhti ho gayi..

नफरतों का यह अजीब दौर है,
जिसको चाहा था कभी;
हां नफरत उसी से हो गई।
और जिस हथेली को,
कुम्हार की चाक समझे दिल दिये,
वह कसाई की लहूलुहान तख्ती हो गई।।

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30 JUN 2022 AT 14:59

जिंदगी में तेरे जब मेरी जरूरत नहीं होगी,
हां चला जाऊंगा मैं बिना अलविदा कहें।।

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26 JUN 2022 AT 9:31

Teri judai se jaada, teri bewafai se jakhm khaaye hain...

Or pta nhi kaise, tum jo sabse qareeb thi..

Tumhe hi mere haal ki khabar na hui..

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24 JUN 2022 AT 1:23

Mohabbat kho ke,
ab lagne laga hai mujhko..

Ye mere yaar kab tak hain,
Ye bhi alwida na keh de...

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22 JUN 2022 AT 23:51

आज राजमार्ग 34 पर कई लोग अपने अपनों को अलविदा कहे बिन चले गए,
और कई अपने अपनों के साथ दुनिया को अलविदा कह गए,
सामने पड़े हुए थे कुछ बदन सामने बिखरे हुए थे सबके तन
सामने पड़ी हुई थीं पथराई आंखें,
सामने बिखरे हुए थे कई घरों के उम्मीद कई घरों के दीये, कई घरों की लक्ष्मीयां।।

काश उन सबको उन सभी लोगों की उम्र मिल जाए,
जो लोग जीते जी अपने अपनों को अलविदा कहते हैं।
जो बिछड़ जाना चाहते हैं अपने अपनों से,
जो हाथ छोड़ देना चाहते हैं अपने अपनों का।।

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17 JUN 2022 AT 18:38

आसान लगता है जिन्हें ये मेरा इंतजार,
कभी आकर देखें, हम तड़पते हैं बेकरार बेकरार...
कि ढल जाते हैं यूं ही ढलते सूरज की तरह,
गुजर जाते हैं हर रोज शाम ओ सुबह की तरह।

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