माना कि हर परिंदा संग था, पर
बुलंद हौसलों से पंख हमने फैलाया था !
मौत नहीं मुक्ति ही सही, पर
डर के पिंज़रें से तुम्हे अब उड़ाना होगा!-
अनादि स्त्रोतम् श्लोक प्रधानम् नमोस्तुते!!�... read more
🙏🏻 *ॐ नमो नारायणाय* 🙏🏻
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🌞 *सुभाषित* 🌞
*भाग्यहीन की गति*
*खल्वाटो दिवसेश्वरस्य किरणै:*
*संतापिते मस्तके,*
*वाञ्छन्देशमनातपं विधिवशात्*
*तालस्य मूलं गतः।*
*तत्राप्यस्य महाफलेन पतता*
*भग्नं सशब्दं शिरः,*
*प्रायो गच्छति यत्र भाग्यरहितः*
*तत्रैव यान्त्यापदः।।*
*अर्थात:-*
एक व्यक्ति गंजा हुआ, फिर सिर पर सूर्य की किरणों से सन्तप्त (तङ्ग) होकर धूपरहित स्थान की खोज में संयोग से एक नारियल अथवा ताड़ के वृक्ष के नीचे पहुंचा। वहां आराम की आशा में बैठा ही था कि जोरदार आवाज के साथ एक बड़े भारी फल के गिरने से इसका मस्तक फट गया।
सत्य ही है कि भाग्यहीन व्यक्ति जहाँ जाता है विपत्तियाँ भी प्रायः वहीं उसके पीछे पीछे पहुंच जाती हैं।
*(शिक्षा यह है कि जब भी लगे कि हमारा समय खराब चल रहा है, तो व्यर्थ की भागदौड़ के स्थान पर वर्तमान परिस्थितियों से सामञ्जस्य बनाकर धैर्य का आश्रय लेना चाहिए)।*
*(भर्तृहरि नीतिशतक : ९१)*
💐🙏🏻 *सुप्रभात* 🙏🏻💐-
इस सम्मान के लिए प्रिय मंच जी
आपका सहृदय धन्यवाद
होली हार्दिक शुभकामनाएँ
💐💐🎨🎨-
आई है पावन होली,
लेकर प्रेम रंग की बरसात।
आ जाओ प्यारे संग भींगे,
भूलाकर आपसी द्वेष की बात।-
अनमोल है जीवन के पल, भर दो वो रंग उसमें,
हो जिसमें सच्चे प्रीत की पावन अमिट धूल।-
🙏🏻 *ॐ नमो नारायणाय* 🙏🏻
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*🔫🌈होलिकोत्सव शुभाशय🌈🔫*
*आयुर्धनं शुभ्रयशोवितानं,*
*निरामयं जीवनसंविधानम्।*
*समागतो होलिकोऽत्सवोऽयं,*
*ददातु ते माङ्गलिकं विधानम्।।*
आपको और आपके परिवार को होलिकोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ। भगवान नारायण और माता महालक्ष्मी आप सब भी भक्त प्रह्लाद की तरह अपने प्रेम एवं वात्सल्य के साथ अपनी भक्ति प्रदान करें! इन्हीं शुभकामनाओं के साथ होलिकोत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।-
🙏🏻 *ॐ नमो नारायणाय* 🙏🏻
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🌞 *सुभाषित* 🌞
*बहुत विचार कर कर्म करना चाहिए*
*कर्मायत्तं फलं पुंसां बुद्धिः कर्मानुसारिणी।*
*तथापि सुधिया भाव्यं सुविचार्यैव कुर्वता।।*
*अर्थात:-*
मनुष्य को अपना हर कर्म बहुत सोच विचार कर ही करना चाहिए। क्योंकि मनुष्य को आज मिलने वाले हर सुख दुःख रूपी फल, पूर्व में किए गए कर्म का ही परिणाम है। यहाॅं तक कि मनुष्य की बुद्धि भी उसके कर्मों के अनुसार ही बनती / होती है।
*(भर्तृहरि नीतिशतक : ९०)*
💐🙏🏻 *सुप्रभात* 🙏🏻💐-
काश ठहर पाते तुम, इन आँखों में।
और न छलकते कभी तुम, इन आँखों से!
दोष है किसका, ज़रा पूछना इन आँखों से!
तुझे ही जिसने बसाया अपने इन आँखों में।
काश ठहर पाते तुम, इन आँखों में।
तो न रुद्राक्ष बनता और न तो सती होती!
हृदय की प्रीत साची होती तो मेहराब न होती!
मन तो पपीहा मेरा, बसाया तुझे इन आँखों में।
ग्यारह माह का साया छलकता इन आँखों में।
बीते लाखों पल जहाँ, गैरों की दरकार न थी!
फ़र्क है इतना सिर्फ़ साथ होकर भी तुम न थी!
दर्द कितना है, ज़रा देखना इन आँखों में।
जीने की कस्मे और स्पर्श के इन आँखों में।
ठहराव वहीं है और गहराव भी वही है !
बस रुक गया है जो तो वो सवेरा वही है !
काश ठहर पाते तुम, इन आँखों में।-
🙏🏻 *ॐ नमो नारायणाय* 🙏🏻
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🌞 *सुभाषित* 🌞
*समय सदा एक सा नहीं रहता*
*छिन्नोऽपि रोहति तरुः*
*क्षीणोऽप्युपचीयते पुनश्चन्द्रः।*
*इति विमृशन्तः सन्तः*
*सन्तप्यन्ते न ते विपदा।।*
*अर्थात:-*
जड़ के ऊपर से कटा हुआ वृक्ष भी पुनः उग जाता है / पूर्ववत् बढ़ जाता है। इसी प्रकार कृष्ण पक्ष में क्रमशः क्षीण होता हुआ चन्द्रमा भी शुक्ल पक्ष में क्रमशः बढ़ता हुआ पूर्णिमा तिथि पर पूर्णता को प्राप्त कर लेता है। इन और इन जैसे अन्य भी सभी उदाहरणों को देखकर सज्जन लोग संसार में दुःख से पीड़ित होते हुए भी दुःखी नहीं होते।(क्योंकि वे जानते हैं कि कोई भी दुःख सदा नहीं रहता और दुःख के बाद सुख भी आता ही है।)
*(भर्तृहरि नीतिशतक : ८८)*
💐🙏🏻 *सुप्रभात* 🙏🏻💐-
🙏🏻 *ॐ नमो नारायणाय* 🙏🏻
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🌞 *सुभाषित* 🌞
*मनुष्य के सच्चे शत्रु और मित्र*
*आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः।*
*नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कुर्वाणो नावसीदति।।*
*अर्थात:-*
मनुष्य का आलस्य, उसके शरीर में स्थित उसका सबसे बड़ा शत्रु होता है और उसके उद्यम / परिश्रम के समान उसका कोई अन्य सच्चा बन्धु नहीं होता। परिश्रम करने वाला व्यक्ति कभी भी दुःखी नहीं होता है।
*(भर्तृहरि नीतिशतक : ८७)*
💐🙏🏻 *सुप्रभात* 🙏🏻💐
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