हाँ क्या याद है तुमको
आज 10 फ़रवरी के दिन जब हम मिले थे,
अक्सर याद आता है ये दिन
कैसे हिम्मत और डर के समागम
से उपजा वो खूबसूरत रिश्ता,
जिसे तुमने कभी आकर्षण कहकर लज्जित किया,
अब तुम ही समझा दो कि आज
ख़ुशी मनाऊँ या मातम,
फिर यही सोचता हूँ क्या तुम जब भी
इस दिन की याद से गुजरते होंगे,
रुक जाते होगे,ठिठक जाते होंगे या आगे बढ़कर मुझे याद कर
थोड़ा मुस्कुराते होंगे,
और फिर मन ही मन कहते होंगे
"पागल था लड़का "
या फिर तुम्हे कोई
फर्क ही नहीं पड़ता हो,
मिलने और बिछड़ने का,
मेरे होने न होने का,
और मैं तुमको अभी तक
अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा मानता हूँ ...
जाने क्यों
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