शिवम मिश्रा   (शिवम मिश्रा)
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मंजिल तो यूँ ही मिल जाएगी भटकते-भटकते,ये रास्ते तो सिर्फ गुमराह करने के लिए हैं🙃🙏
Joined 27 May 2018


मंजिल तो यूँ ही मिल जाएगी भटकते-भटकते,ये रास्ते तो सिर्फ गुमराह करने के लिए हैं🙃🙏
Joined 27 May 2018

नियम बनाने का उद्देश्य अनुशासन उत्पन्न करना है जबकि बन्धन में रखने का उद्देश्य भयभीत करना है।

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नियम व बंधन दोनों में जमीन-आसमान जितना अंतर होता है, नियम में रहना यानी आपकी कार्यशैली व कार्य करने की क्षमता का विकास होना एवं किसी को बन्धन में रखना यानी उसकी सोचने-समझने की शक्ति तक मे नकारात्मक प्रभाव डालना होता है।

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नदियों के किनारे बैठकर लहरों को देखा करोगी,
इन आंधियों से तुम हवाओं का पता पूछा करोगी,
वफ़ा करने वाले लड़के से जो कि है बेवफाई,
तो बता दूं तुम्हें, अब आंसू है उसकी महबूबा घर है उसका तन्हाई।

सर्द रातों में जब भी रजाई ओढा करोगी,
बगल में जिस्म होगा रकीब का खुशबू मेरी सूंघा करोगी,
रुई रजाई की अब भी वफ़ा का दामन ओढ़ी होगी,
बगल में रखी फूलदानी कहानियां मेरी कहेगी।

कमरे की खमोशी का भी ध्यान रखना तुम,
सिरहाने रखे तकीये की आहें भी सुनना तुम,
हक है तुम्हें भूल जाओ मेरी पाक मोहब्बत,
हक है तुम्हें भूल जाओ वो साथ मे की इबादत,
बस याद रखना तुम ये जालिम सी बेवफाई,
तुम मैं और ये तुम्हारी दी गयी रुसवाई।।

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गुरु व मार्गदर्शक के द्वारा अपने शिष्यों में पक्षपात करने को भी पाप की श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए

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एक रिश्ते में प्रेम की उपस्थिति वहीं है, जहां देने वाला लेने वाले से ज्यादा आनन्दित महसूस करें

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जब आप किसी को कर्म करने के लिए बाध्य करने लगते हैं, तब वो आपकी कार्यशैली में कमियां निकलाना आरम्भ करता है।
ये कमियां उस वक्त तक अदृश्य रहती है, जब तक आप उसे कार्य करने या लक्ष्य तक पहुंचने का दबाव न बना रहे हों।

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आपके अनुभव जीवन में अर्जित की जाने वाली वस्तुओं में सबसे श्रेष्ठ व कीमती है। इसे अनावश्यक ही भाषण की तरह सभी जगह साझा न करें, वरना आप आत्मग्लानि से भर उठेंगे।

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तकलीफ की कुछ इस तरह से आदत हो गई है कि अब तकलीफ नही होती है तो तकलीफ होती है...

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26 FEB 2022 AT 18:46

संस्कृति से लगाव यह दर्शाता है कि आप उस जगह के इतिहास के साथ उसके विकास को लेकर भी चिंतन करते हैं❤️

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17 FEB 2022 AT 16:17

कुछ नहीं करने वाले भी बहुत कुछ करते हैं;दूसरे की निंदा करना व आरोप लगाना भला सरल कार्य है क्या...!

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