रत्नाकराधौतपदां हिमालय किरीटिनीम्। ब्रह्मराजर्षिरत्नाढ़यां वन्दे भारतमातरम्।।
- बहुमूल्य रत्नों से भरा समुद्र जिसके चरण धोता है, जिसके मस्तक पर हिमालय का मुकुट शोभायमान है जो असंख्य ब्रह्मऋषि व राजऋषियों रूपी रत्नों से समृद्धशालिनी है ऐसी भारत माता की मैं वन्दना करता हूँ
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शुभ गणतंत्र दिवसस्य सर्वेभ्यो देशवासीभ्यो शुभकामना:🇮🇳🚩-
उपाध्यायान् दशाचार्य आचार्याणां शतं पिता।
सहस्रं तु पितृन् माता गौरवेणातिरिच्यते।।
अर्थात: दस उपाध्यायों(अध्यापक या जो वेद अध्यन करता हो) से बढ़कर एक आचार्य होता है, सौ आचार्यों से बढ़कर पिता होता है और पिता से हजार गुणा बढ़कर माता गौरवमयी होती है। उक्त दोनों श्लोक में माता-पिता, गुरु एवं श्रेष्ठजनों की महिमा स्पष्ट होती है। ये तीनों हमारे प्रत्यक्ष देवता हैं। इसलिए इन विभूतियों की तन-मन-धन से सेवा करना हमारा कर्तव्य है, इनको सदैव संतुष्ट और प्रसन्न रखना ही हमारा धर्म है। मनुस्मृति के अतिरिक्त हमारे अन्य धार्मिक ग्रंथों में भी माता-पिता, गुरु एवं श्रेष्ठजनों को पूजनीय माना गया है। इन तीनों को सदैव सुखी रखना ही हम सभी का कर्तव्य है।-
" दैवाधिनं जगत सर्व मंत्राधीनाश्च देवताः । ते मन्त्रा ब्राह्मणाधीनास्तस्मात ब्राह्मण देवता ।। "
~ सब जग दैवाधीन है , दैवते मन्त्र के अधीन है और वह मन्त्र ब्राह्मणों के अधीन है । इसलिये ब्राह्मण ही देव है । सुभाषितकार ने ब्राह्मणों का महत्व यहाँ विशद किया है । सब जग दैवाधीन है ही किन्तु स्वयं देवता मन्त्रों के अधीन है।मन्त्रोच्चार के बिना देव भी फलप्रद नही होते है । देवों की कृपा के लिए मन्त्र अत्यावश्यक है और वही मन्त्र ब्राह्मण के देखे या रचे होते है इसलिए ब्राह्मण ही देव है । और एक बात है देव और ब्राह्मणों में साम्य यह भी है कि देव भी सिर्फ देना जानता है वैसा ही ब्राह्मण भी मन्त्र की निर्मिती जग कल्याण के लिये ही करता है।
🙏🚩 श्री राम🚩🙏-
If a Country's People are alert and intrested in how the country is run, the Democratic character of the Government of that country will be Stronger..
-Shivam Dwivedi-
भारत का हर दिन कहता
आजादी अभी अधूरी है
सपने सच होने बाकी है
क्रांति की आग न पूरी है
जिनके सीने को कुचल कर
आजादी भारत में लायी
सांसों की पकदंडी में रक्तो की वर्षा छाई
वो अडिग रहे अपने प्रखर पर
आजादी के लक्ष्य को लेकर
जूझते गए अपनो के बिना
भाग्य नहीं था अपनों के बिना
इसीलिए तो कहता हूँ
आजादी अभी अधूरी हैं
भारत का हर दिन कहता
आजादी अभी अधूरी हैं.....
🖋🖋~शिवम द्विवेदीजी
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मुश्किलों की हद जहाँ तक
वहाँ तक उत्साह मेरा
हो समर्पण हार का
है वहा तक वार मेरा||
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सागर की अपनी क्षमता है
पर माँझी भी कब थकता है
जब तक साँसों में स्पन्दन है
उसका हाथ नहीं रुकता है
इसके ही बल पर कर डाले
सातों सागर पार
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार ||
कवि शिवमंगल सिंह 'सुमन '
शिवम द्विवेदी
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पीकर जिनकी लाल शिखाएँ उगल रहीं सौ लपट दिशाएँ,
जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल ,
कलम आज उनकी जै बोल, कलम आज उनकी जै बोल!!!-
नववर्ष मंगलमय रहे, नववर्ष मंगलमय रहे
ज्ञान, बुद्धि ,विवेक सह नव कीर्ति को पहचानिये,
धरती ,गगन , अंबर तलक साहस क ध्वज फेहराइये,
हो धर्म का ये अगम्य पर्वत , ईश्वर का ये प्रमुख ध्वज पथ,
शक्ति के संचार में , सर्वस्व के झंकार में,
राहों की मर्यादा में ,पथो की अभिलाषा में,
सत्य भी शास्वत रहे, नववर्ष मंगलमय रहे..
कर्तव्य मंगलमय रहें , नववर्ष मंगलमय रहे..
🖋🖋 शिवम द्विवेदी.....
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