गुलाब जैसा फूल पसंद किया है तो,
कांटो जैसा उसका गुस्सा तो सहना पड़ेगा..!!🥀❤️😉
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// सुविचार //
" अपनी रुचि, इच्छा, मान्यता को ही दूसरे पर लादना, अपने गज से सबको नापना, अपनी ही बात को,
अपने ही स्वार्थ को सदा ध्यान में रखना अनुदारता का चिन्ह है ।
दूसरों के विचारों, तर्कों, स्वार्थों और उनकी परिस्थितियों को समझने के लिए उदारतापूर्वक प्रयत्न किया जाय तो अनेकों झगड़े सहज ही शान्त हो सकते हैं । उदारता में दूसरों को अपना बनाने का अद्भुत गुण है । "
" विचार क्रांति अभियान "-
जिस वक्त तेरी यादों का समां होता है,
फिर इन आंखों में चैन कहां होता है,
हुनर ये मुझमें नहीं तुझमें है भूल जाने का,
मेरा इश्क तो तुझे याद करके और भी जवां होता है।-
पुलवामा के शहीदों को मेरा नमन ,
मैं चुनके लाया हूँ कुछ श्रद्धा -सुमन ।
सूरज नहीं डरता कभी काले मेघों से ,
इसलिए महफूज है मेरा अक्खा वतन ।
किसी माँ की आँखों के तारे थे वो ,
किसी माँ की कोख के दुलारे थे वो ।
उजड़ा था कितनी मांग का सिन्दूर ,
सींचे हैं खूँ से जमीं सींचेंगे ये चमन ।
मैं चुनके लाया हूँ कुछ श्रद्धा -सुमन ,
चालीस जवानों की शहादत हुई थी ।
गंगा-यमुना की लहरों से चीख उठी थी ,
अर्थी को देख-देख ये रोया था गगन ।
मैं चुनके लाया हूँ कुछ श्रद्धा -सुमन ,
पुलवामा के शहीदों को मेरा नमन ।
सदा ही अमर रहेगी उनकी कुर्बानी ,
ले लो सलामी तू वीर बलिदानी ।
ओढ़े थे तू तिरंगा बनाकर कफन ,
हम चुनके लाए हैं कुछ श्रद्धा-सुमन ।
पुलवामा के शहीदों को मेरा नमन ,
जय हिन्द!! जय हिन्द की सेना !!
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उसमे आपकी कशिश कुछ तो होगी
उसे जो हम कभी भुला न पाए
एक उसका प्यार ही निराला था
जब भी हम पास ए सब कुछ भूल ही गए ।
भूल गए ज़माने के ताने,
भूल गए उसके दूर जाने के बहाने ।
मुझे वो पल आज भी याद है
उसका पास आ कर कहना ,,,,,,,,,,,,,,
" चल कही दूर चलते है " और कहते कहते सच में दूर चले जाना ।
आज भी वो लम्हे , हर पल याद आते हैं
उसका मुस्कुराना और मुझे कुछ भी कह कर चिढ़ाना ।
मेरे गुस्से पर मुझे मनाना और न मानने पर गले लगाना ।
हर पल मुझे याद करके " फ़ोन " घूमना और घूमने का " प्लान " बनाना ।
याद है वो लम्हे जो चुपके से पार्टी करना
और साथ मिलकर खाना बनाना ।
हम दोनों में कुछ तो खामियां रही होगी जो
हम एक-दूसरे पर भरोसा करते गए और वो तोड़ते गए ।
न जाने कौन सा मोड़ आया कि वो दूर होते गए
और हम भी पीछे हटते गए ।
आज न वो साथ न वापिस आने की उम्मीद ।
बस एक मैं और उसकी याद , बस एक मैं और उसकी याद ।-
हम जो उनकी गली से गुजर गए
देखकर ये मंजर तो बुरी तरह से डर गए ।
हमारे अस्थि पंजर सब जाम हुए
मुझे किधर जाना था और हम किधर चलें गए ।
उनके दर मे आशिकों की मंडली जमा थी
हमने पूछा,कि तुमने ऐसा क्या देखा जो मर गए ?
तुम आँखों में आंसू,और हृदय में स्नेह लिए
बोले ऐसे ही " मज़हर " पल में ठहर सा गए ।
हम इश्क की वो शान में गुस्ताखी करें तो कैसे करें
हम उनके इश्क पर यूं ही मुकर ही गए ।
हमें उन्होंने लाल लाल उन आंखों से जो देखा है
हमने सोचा की अब तो हम सीधे ऊपर ही चलें गए ।
हे भगवान ! तूने क्या इश्क बनाया है !
मुझे जिससे बचना था, हम तो वही काम कर गए ।-
दूर तलक जब कोई निशां बाकी रह जाये तो,
मुड़कर देख लेना भी अच्छा होता है
कभी भूल जाओ उस पल को तो,
याद कर लेना भी अच्छा होता है;
कर सको गर तलाश एक सुकूँ की
चल देना तुम आसमां की सैर पर,
हो जाये वहां मुलाक़ात जब बारिशों से
बरस जाएं वो घटा बन,
ये उनसे कह देना अच्छा होता है;
लौट आओ जब तुम उस सफर से,
चंद मुलाकातों को सहेज लेना अच्छा होता है;
हो जाएं गर कुछ गुफ़्तुगू उन पछियों से
उड़कर पंख कैसे बिखेर लूं
ये सीख उनसे लेना अच्छा होता है;
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कर सको गर मिट्टी से बातें
उन बच्चों के हाथ से कुछ कंकड़
चुरा लेना अच्छा होता है;
हे मानव!..तुम कब समझोगे ये जिंदगी के फ़साने
जिनमें खुशियों का बस जाना अच्छा होता है।-