Shivisudha Goenka   (Shivisudha goenka)
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Joined 24 December 2017


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Joined 24 December 2017
27 OCT 2021 AT 17:31

जब भरोसे की डोर कच्ची हो |

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27 OCT 2021 AT 17:27

सिर्फ तुम हो जिसके होने से मेरा अस्तित्व है

सिर्फ तुम हो जिससे मेरी हर सांस जुडी है

सिर्फ तुम हो जिसकी बातों का असर होता है मुझे

सिर्फ तुम हो जिस्का नजरिया मैने रक्खता है मुझे

सिर्फ तुम हो जिससे सच्चा प्यार है मुझे

वो कोई और नहीं
सिर्फ तुम हो मां ||

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27 OCT 2021 AT 17:14

Passion and self love

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27 OCT 2021 AT 10:57

क्या कहूँ मैं उनको,
शबदों से पहले वो जज्बात सुन लिया करते हैं...

क्या लिख ​​कर पढ़ाऊं मैं उनको,
कुछ लिखने से पहले ही वो दिल पढ़ लिया करते हैं !

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29 SEP 2020 AT 15:01

Your heart is the most fragile thing you own, never mishandle it by falling for an idiot.
#World heart day
#handle with care

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24 MAY 2020 AT 23:21

Difference between Infatuation and love:
Infatuation dies with the end of story... but love revives even if the story has ended.

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15 MAR 2020 AT 13:14

Agar koi Apse Alag hai,
iska matlab ye nahi ke vo Galat hai...

STOP bullying others..STOP behaving as if you are the God..n STOP being ridiculous

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11 NOV 2019 AT 21:24

वो रात ही तो होती है
 जो वक़्त की  रफ़्तार दिखा जाती है,
बीते दिन का हिसाब लेते लेते
 तारीख़ें बदल जाती है....

 वो रात ही तो होती है
 जिसके अँधेरे में सुकून महसूस होता है,
किसी को खोने का ग़म
तो किसी को पाने का जूनून महसूस होता है......

 वो रात ही तो होती है
जो शोर को चुप करा
ख़ामोशी की गूंज सुना देती है,
थकी आँखों को सुला कर
नए ख्वाबों को जगा देती है.....

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4 NOV 2019 AT 0:12

Those who have measurement tapes, weighing scales, Tele-spectroradiometers in their eyes to bodyshame & colour shame others wish they had a mirror to see their own imperfections n realise how disgusted n lowminded they are..

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22 APR 2019 AT 23:31

बेज़ुबान समंदर की लहरें भी
गेहराईओं का सन्नाटा छुपा देती है...
हवाएं भी  तेज़ रफ़्तार से 
आसमान की चुप्पी मिटा देती है ..
फिर ये इंसान ही क्यों है जो आवाज़ के होते भी गूंगा है ?
 क्यों इंसान अपने ऊपर होने वाले ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ नहीं  उठता?
 क्यों इंसान डर डर के अपने अंदर के शोर को दबा देता है?

क्यूंकि हवाएं  और लहरें समय की मोहताज नहीं शायद इसलिए वो आज़ाद है...
मगर इंसान तो  समय का ही कैदी है....
इंसान डरता है अन्जामो से..
इंसान डरता है इन्साफ की लड़ाई में खुद को खो देने से..
ये इंसान का कसूर नहीं है के वो डरता है...
कसूर उस इन्साफ देने वाले  कानून का है
 जो ये भूल चूका है के इंसान की उम्र भी सिमित है
 और इन्साफ की गुहार भी..

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