जब भरोसे की डोर कच्ची हो |
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Ki Sharaab si ek latt bna lo tum muje,
Jeene ka sahara na bn... read more
सिर्फ तुम हो जिसके होने से मेरा अस्तित्व है
सिर्फ तुम हो जिससे मेरी हर सांस जुडी है
सिर्फ तुम हो जिसकी बातों का असर होता है मुझे
सिर्फ तुम हो जिस्का नजरिया मैने रक्खता है मुझे
सिर्फ तुम हो जिससे सच्चा प्यार है मुझे
वो कोई और नहीं
सिर्फ तुम हो मां ||-
क्या कहूँ मैं उनको,
शबदों से पहले वो जज्बात सुन लिया करते हैं...
क्या लिख कर पढ़ाऊं मैं उनको,
कुछ लिखने से पहले ही वो दिल पढ़ लिया करते हैं !-
Difference between Infatuation and love:
Infatuation dies with the end of story... but love revives even if the story has ended.-
Agar koi Apse Alag hai,
iska matlab ye nahi ke vo Galat hai...
STOP bullying others..STOP behaving as if you are the God..n STOP being ridiculous-
वो रात ही तो होती है
जो वक़्त की रफ़्तार दिखा जाती है,
बीते दिन का हिसाब लेते लेते
तारीख़ें बदल जाती है....
वो रात ही तो होती है
जिसके अँधेरे में सुकून महसूस होता है,
किसी को खोने का ग़म
तो किसी को पाने का जूनून महसूस होता है......
वो रात ही तो होती है
जो शोर को चुप करा
ख़ामोशी की गूंज सुना देती है,
थकी आँखों को सुला कर
नए ख्वाबों को जगा देती है.....-
Those who have measurement tapes, weighing scales, Tele-spectroradiometers in their eyes to bodyshame & colour shame others wish they had a mirror to see their own imperfections n realise how disgusted n lowminded they are..
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बेज़ुबान समंदर की लहरें भी
गेहराईओं का सन्नाटा छुपा देती है...
हवाएं भी तेज़ रफ़्तार से
आसमान की चुप्पी मिटा देती है ..
फिर ये इंसान ही क्यों है जो आवाज़ के होते भी गूंगा है ?
क्यों इंसान अपने ऊपर होने वाले ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ नहीं उठता?
क्यों इंसान डर डर के अपने अंदर के शोर को दबा देता है?
क्यूंकि हवाएं और लहरें समय की मोहताज नहीं शायद इसलिए वो आज़ाद है...
मगर इंसान तो समय का ही कैदी है....
इंसान डरता है अन्जामो से..
इंसान डरता है इन्साफ की लड़ाई में खुद को खो देने से..
ये इंसान का कसूर नहीं है के वो डरता है...
कसूर उस इन्साफ देने वाले कानून का है
जो ये भूल चूका है के इंसान की उम्र भी सिमित है
और इन्साफ की गुहार भी..-