खुद को खुद से मिलाने के लिए लिखती हूं,
अपने एहसासों को बयां करने के लिए लिखती हूं।।-
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खुद से प्यार करने वाली।❤️❤... read more
तेरा साथ होना कितना जरूरी है,
ये बात तू जानता नहीं हैं।
काश तू जान पाता,
लेकिन तू मुझे अपना मानता नहीं है।।-
मंजिल तक पहुंचने के लिए,
भरोसा रख तू खुद पर।
खुद की तू पहचान बना,
खुद को तू विश्वास दिला।
तू अपने मन में विश्वास जगा,
तू खुद को मजबूत बना।
तू अपने हौसला को बढ़ा,
तू अपने विश्वास को जगा।
चल पड़ कठिन राहों पर,
और फिर खुद की एक नयी पहचान बना।
तू खुद की एक नयी पहचान बना,
तू खुद की एक नयी पहचान बना।।-
बस खामोशी का कहर था,
चाहे कितनी भी कोशिशें कर लेते कोई।
लेकिन उसकी खामोशी,
मिट ही नहीं रही थी।
बस आंखों से आंसू बरस रहे थे,
और सारी बातें दबी हुई थी।
रातों को जाग कर,
बस वो खामोश थी।
किसी से कुछ नहीं कह रही थी,
एकदम चुप सी हो गई थी।
वो हंसना भूल गयी,
बस आंसु बहाते रहती थी।
हां वो एक रात,
बस वो ख़ामोश थी..
और आंसू बहा रही थी।।
-
कुछ नहीं होता,
इसी सोच ने लोगों को पीछे कर दिया है।
अरे कोशिश करने से क्या नहीं होता,
कोशिश करने से,मेहनत करने से,
क्या कुछ नहीं होता।
सबकुछ होता है,
हम एक कदम आगे बढ़ाएं।
तो सबकुछ होता है,
खुद पर विश्वास करके।
अपने आपको आगे बढ़ाएं,
तो सबकुछ होता है।
जो लोग यह सोच रखते हैं,
कि कुछ नहीं होता।
एक बार कोशिश करके तो देखो,
जिन्दगी में सबकुछ होता है।
मेहनत करने से सबकुछ होता है,
अच्छा सोच रखने से सबकुछ होता है।
खुद को हमेशा ऐसा बनाओ,
जिससे तुम भी आगे बढ़ो और
लोगों को भी आगे बढ़ाओं।
और बस यह सोच रखकर चलो,
कि सबकुछ होता है।
और सबकुछ अच्छा होता है।।-
अपने सोच से करों।
मेरा कल का दिन अच्छा न रहा,
तो आज को कैसे बेहतर करूं।
ये सोच लेकर चलों।
मुश्किलें हैं,तकलीफें हैं,
लेकिन फिर भी हंसकर चलो।
अपने आपको हारने मत दो,
बस आगे बढ़ते चलो।
खुद पर भरोसा रखो,
बस तुम आगे बढ़ते चलो।
और अपने हर एक दिन को,
कैसे बेहतर करूं...!
ये सोच लेकर चलों।
और बस तुम आगे बढ़ते चलो।।-
मैं हर किसी को,
अपनी परेशानियां बताती नहीं।
मैं हर किसी को,
अपनी हालात सुनाती नहीं।
और लोग मुझे अपना समझते नहीं,
लोग मुझे गलत समझते हैं।
मुझे पीछे करने के,
हजारों कोशिशें करते हैं।
मेरे आत्मविश्वास को,
तोड़ने की कोशिश करते हैं।
मैं सबके लिए सोचती हूं,
सबके लिए करते हूं।
हमेशा निस्वार्थ भाव रखती हूं,
कभी किसी से कुछ कहती नहीं।
कभी किसी का बुरा चाहती नहीं,
कभी किसी से उम्मीद भी रखतीं नहीं।
खुद को हमेशा मजबूत बनाती हूं,
हमेशा हंसकर सबकुछ संभालती हूं।
शायद इसीलिए हर कोई,
आकर कुछ भी कह देते हैं।
और मैं सबकुछ जानकर, समझकर भी,
केवल चुप रह जाती हूं।।-
सारी खुशियां कुर्बान कर दी,
सारी ख्वाहिशें मार दी।
खुद की परेशानियां भुला दी,
सपनों को भी गुमराह कर दिया।
और अंत में मुझे कहा गया,
कि मैं केवल खुद का सोचती हूं।
कभी कभी लगता हैं,
कि क्या सच में मैं केवल खुद का सोचती हूं।
सबका साथ छुट गया,
सब दूर हो गये।
और अकेले तन्हाई में,
सच में अब मुझे लगने लगा है..!
कि मैं केवल खुद का सोचती हूं।।-
वो कहते है न,
जिन्हें सुन-सुन के..
इतनी आदत लग जाती हैं।
कि सुनाने वाला ही,
सोच में पड़ जाता हैं।
कि इसके मुंह से आवाज़,
निकलेगी भी या नहीं।
और जिसका सबके लिए करते दिन जाता हैं,
वो खाली करते ही रह जाता हैं।
और जो करने वाला होता है,
और जो सुनने वाला होता है।
उसकी लोग कभी कदर करते ही नहीं,
फिर भी वो खाली..
हंसते हुए ही नज़र आता हैं।।-
जब हर किसी का साथ छुट जाता हैं,
जब हालात विपरीत हो जाता हैं।
जब हजारों बातें दिल में रहती हैं,
लेकिन दिल किसी से कह नहीं पाता हैं।
तब उसी दिल के अंदर से,
एक जबरदस्त आवाज़ आता हैं।
कि मैं हूं ना,
कि मैं कर सकती हूं ना।
कि सब साथ छोड़ दिए तेरा,
तो क्या हुआ।
मैं हूं ना,
और सच कहते हैं लोग।
खुद से खुद का साथ ही,
खुद का आत्मविश्वास ही।
एक दिन इंसान को,
कामयाबी की सीढ़ी चढ़ाता हैं।
उसे कामयाब बनाता हैं।।-