गंगा के उस पार से
भेजे हैं तुमने पैग़ाम
सर्द हवाओं के ज़रिए
ये बोसा, ये रात,
और ये चांद-
shivi Tales
(श्री shivi___🐰)
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If you feel like quitting, remember why you started in the first time
Joined 24 April 2020
5 DEC 2024 AT 13:53
22 NOV 2024 AT 21:32
मैं तुम्हारे आंखों में झांकता हूं
हर बार बस
ये मालूम करने को
क्या मेरा टिकाना यहीं है-
23 AUG 2024 AT 22:27
कभी कभी हम
सबके इतने हो जाते हैं,
कि ख़ुद के लिए
खुद रह ही नहीं जाते।-
16 JUN 2024 AT 11:41
जिनका कोई अर्थ ही नहीं है ज़िंदगी में,
उनके लिए आज क्या ही कहूं मैं।।
-
2 JAN 2023 AT 9:51
Itni sard kyun hai yahan
Lgta hai uski muskaan ki
dhup nhi padi ab tak-
29 SEP 2022 AT 6:39
Aaj fir meri khushi dav pe hai
Agar tu kahi hai bhole
To mujhe bikharne na dena-
2 AUG 2022 AT 8:54
बस
मुझे इन्हीं
सब से डर लगता है
आज शब्दों में कमीं आयीं है
कल जज़्बातों में आएगी तो
मैं क्या करूंगी.........-
22 JUL 2022 AT 0:01
मुझमे अब तक सारी पीड़ाए सह जाने का हौसला तुम्हीं से आया
मग़र तुम्हारे जरिए चोट खाने की आदत मुझमे अब तक नहीं आया-