shivendra patel-शिव   (शिव)
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Joined 12 April 2018


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Joined 12 April 2018
22 FEB 2024 AT 6:54

दोमट मिट्टी का बीज नही, मैं शैल शिला का बरगद हूँ।
ना सींच मुझे अहसानों से, निज कर्म नीर से गदगद हूँ॥

तुम शूल फेंकते रह जाना, मैं पुष्प गली में बोता हूँ।
तुम क्या फूँकोगे घर मेरा, मैं अम्बर तल में सोता हूँ॥

कुछ दूजों को पाता हूँ तो कुछ अपनों को खोता हूँ।
चलते चलते इन राहों में ऐसे ही खुद का होता हूँ॥

तुम दसकंधर की सेना हो, मैं अंगद खड़ा अकेला हूँ।
तुम चंडालों की धूर्त भीड़, मैं हनूमान का चेला हूँ॥

-शिव

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14 FEB 2024 AT 22:17

प्यार में लाख बार मर जाऊँ मेरा अंत ना होगा।
यदि ऐसा हो जाता है तो फिर बसन्त ना होगा।
पाना खोना खोना पाना खूब हुआ है जीवन में,
माप सके जो प्यार को मेरे वो अनन्त ना होगा॥
-शिव

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19 JAN 2024 AT 9:00

हो पावन तुम सीता जैसी।
मेरे केशव के गीता जैसी।
तुम भाव हो मनके मनके का,
तुम मीरा पुण्य पुनीता सी॥

तुम पतित पावनी गंगा हो।
तुम्हे गाता पीर मलंगा हो।
तेरे क्षीर के अमृत बूँदों से,
जग स्वेत रंग में रंगा हो॥

अन्तःमन के कण कण से,
हे! नारी शक्ति नमन तुझे।
-शिव

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29 APR 2023 AT 23:48

तुम चूम के अपने होठों से, रँग देना मेरा भाल प्रिये।
तेरी चूनर को केसरिया रँग दूँ, रंगू गाल मैं लाल प्रिये॥

श्यामल रँग कजरारी कर दे, तेरी मृगनयनी आँखें।
इस प्रेम रंग के उत्सव में, तुम खोलो सतरंगी पाँखें॥

सिन्दूरी तेरी माग भरूँ, जीवन मे हरा गुलाल प्रिये।
रँगने दे तेरा अंग अंग, मुझको तू आज ना टाल प्रिये।

कुछ नारंगी सपने भर दूँ , मैं आ कर तेरे जीवन में।
जैसे राधिका रंगी हुई थी, श्याम रंग के श्री वन में॥
-शिव

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7 MAR 2023 AT 16:18

पतझड़ के मौसम में भी जंगल उदास नही होते।
मतलब से ठहरने वाले तो इतने खास नही होते।
यूँ किसी के चले जाने पर क्या ही मलाल करना,
लाश में प्यास और पत्थरों में अहसास नही होते॥
-शिव

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27 FEB 2023 AT 21:07

इश्क़ का रोगी इश्क़ में बिखर जाता है।
वो ज़िंदा तो रहता है मगर मर जाता है।
ग़ैर दिल जिसे वो अपना घर मानता था,
खुद का दिल टूट जाने पर घर जाता है॥
-शिव

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7 FEB 2023 AT 20:31

वो ज़िन्दगी में आये और कुछ यूँ चल दिये।
नागफनियों से डर कर गुलाब कुचल दिए॥
-शिव

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4 FEB 2023 AT 11:21

दूषित जल हैज़ा करे, खाँसी करे खदान।
तम्बाकू कैंसर करे, छीनय सब के प्राण॥
-शिव

कैंसर जैसी घातक बीमारी से लड़ रहे समस्त जांबाजों एवं उनके परिवारजनों को ईश्वर शक्ति प्रदान करें।
विश्व कैंसर दिवस के दिन मैं आपके स्वास्थ्य एवं सौंदर्य की मंगलकामना करता हूँ॥

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3 FEB 2023 AT 10:08

यूँ चालाकियाँ छोड़कर मासूम ना बनते।
तो इश्क़ में इस क़दर महरूम ना बनते।
उनको भी तलब होती हमसे मिलने की,
गर हर बात पर उनके हम मूम ना बनते॥
-शिव
महरूम- अभागा, वंचित
तलब- इच्छा, चाह
मूम- मोम

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31 JAN 2023 AT 9:29

रातों की नींद गवाँ दी है, दिन का भी चैन गवाऊँगा
पन्ना पन्ना भर आँखों मे, हर सपना सच कर जाऊँगा।
कुछ वादे हैं खुद के खुद से, कुछ अपनो के ख्वाबों से,
संकल्प आज ये लेता हूँ, हर बाधा लाँघ के आऊँगा॥

जीवन के इस तरकस से, मेहनत के तीर चलाऊँगा।
हीन सोच को धो धो कर, गंगा का नीर हो जाऊँगा॥
-शिव

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