कि..…! आंखों के सामने बस अंधेरा छाया रहता है,
सारा उजाला तो यादों ने समेट रक्खा है।-
सोचता हूं कि सुकून का कोई ख़्वाब मिल जाए,
इन बेमतलब की यादों ने मुझे बेज़ार कर रक्खा है।-
सफ़र की मुश्किलों को देख जंग छोड़ी नहीं जाती।
कदम बढ़ने से पहले आशाएं तोड़ी नहीं जाती।
इरादा ही नहीं काफ़ी तुम्हें संकल्प करना है,
रूबरू मंज़िल से होने तक,
डगर छोड़ी नहीं जाती।-
हर शख्स तुझसे सीखे ऐसा तेरा दस्तूर हो।
असफलता का किरदार तेरी नज़रों से दूर हो।
और ख़ुदा कुछ यूँ रौशन करे तेरी हस्ती को,
कि कामयाबी लफ्ज़ ही तेरे नाम से मशहूर हो।-
शायद कोई ख़लिश है इस दिल में,
जो आज भी महसूस होती है।
वरना ये दिल कभी रुक-रुक धड़कता न था।
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यूँ हर किसी का सहारा नहीं मिलता।
बेइंतहा चाहने वाला दोबारा नहीं मिलता।
और क्या समझकर तुमने छोड़ दिया उसे,
इतनी आसानी से दरिया का किनारा नहीं मिलता।
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कि न तो तुझे देखने की चाहत है,
न ही तेरे इश्क़ में बेक़रार हूँ।
और तेरी यादों से पहले तो ही दूर हो गया था,
अब तेरे ख्वाबों से भी दरकिनार हूँ।-
जितना सोचा नहीं था,उतने पुराने हो तुम।
तुमको हम अपना समझते रहे ,पर बेगाने हो तुम।
और हम समझते थे तुमको भी चाहत होगी हमसे,
पर किसी और के दीवाने हो तुम।-
समझने-समझाने का मौका नहीं मिला,
हमने प्यार तो किया पर उनके दिल में दाखिला नहीं मिला।
और जब-जब खोया मैं उसकी याद में,
ये मेरा दिल मेरी रूह से दूर मिला।-
आँखों के आँसू सूख गए तेरे इंतज़ार में,
ये दिल दर-दर भटकता रहा तेरे प्यार में।
कि तुझे देखे ज़माने हो गये,
और कितना वक्त लगेगा तेरे दीदार में।
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