लोग कहते है तू अब है नहीं,
पर एक हद तक तू ज़िदा है मुझमें,
कहते हैं तुम सम्भलो, सब सम्भालना है तुम्हे,
कैसे बताऊँ उन्हें, कुछ तो मैं भी राख हुआ था ना तुझमें..-
खुद में खुद ही को तलाशते हुये,
बना ज़माने के लिये काफिर,
"एक अंजान... read more
काश कुछ लम्हे और मिले होते,
काश कुछ किस्से और बुने होते,
काश कह देता, गुड़िया हो तुम मेरी,
काश कुछ और ख्वाब तुम्हारे पूरे करे होते,
काश तुम्हारी हंसी के लिए सबसे और लड़ा होता,
कश कुछ और लम्हे तस्वीरों में कैद करे होते,
काश और पंख फैलाने का तुम्हे मौका मिला होता,
काश और ऊंची उड़ान भरकर, आसमां कदमों में करे होते,
काश राखी की सुबह जल्दी उठकर तुम्हारा इंतज़ार किया होता,
काश दिवाली की तुम्हारी रंगोली में, मैंने भी रंग भरे होते,
काश उस आखरी भाईदूज के टीके का कोई तोहफा दे दिया होता,
काश तुम्हारी सारी बलाएँ मैं ले पाता, और दुआओं के हक अदा हुए होते,
कि काश कुछ लम्हे और मिले होते, काश कुछ किस्से और बुने होते,
काश....-
एक नामुकम्मल, खूबसूरत सा ख़्वाब मेरा,
और एक मुकम्मल, पर खोखली सी तक़दीर मेरी!-
रूह के रिश्ते को हालातों की बेड़ियों में जकड़ने ना देना,
जो गलतफहमियाँ नीवं हिलाने लगे, शब्दों का सहारा लेना!-
आखिरत की फ़िक्र छोड़, मैं आज में ही खो गया,
मुक्तलिफ़ हो रंज-ओ-गम से, हाँ हकीकी मैं हो गया!-
खेल किस्मत का खेला वक़्त ने,
और ड़र हकीक़त पर छा गया,
सामान किसी और का बंधा रक्खा था,
बुलावा किसी और का आ गया !-
कि खूबसूरत ख़्वाबों की एक किताब है मेरी,
मेरी आँखों की नमीं बता रही है,
नामुकम्मल ही रहेंगे सब, बताकर मुझे,
हकीक़त आज मेरे ख्वाबों पर मुस्कुरा रही है!-
दिनभर खुद को समेंटे हकीक़त से नज़रें चुराता हूँ,
रात होते ही यादों को चोला ओढ़, फिर बिखर जाता हूँ !-
ज़िंदगी की कश्मकश में चंद लम्हे, वक़्त से ले उधार,
और यादों के संदूक को, उन लम्हों से सँवार,
किस्से, कहानीयाँ, शरारतें, और मुस्कुराहटें समेंटे,
घर लौटे, कुछ नए, तो कुछ पुराने यार !-