निगाह-ए-यार = Eyes of the lover
आशना-ए-राज़ = To know a secret
खूबी-ए-किस्मत = Goodness of fate-
जैसे कोई कहानी बस चलती ही जाए,
मनाली की वादी में अदरक की चाय,
जैसे कि बातों से तुम्हारा दिल कभी न भरता हो,
जैसे बस घूंट बाकी हो नशा पहले ही चढ़ चुका हो,
तलवार पर नंगे पैर चलने के जैसा,
गीली तार पर गिरकर फिसलने के जैसा,
मौसम का कभी न बदलने के जैसा,
बर्फ का हवा में पिघलने के जैसा,
तुम्हें चूमना...
समंदर का सूरज को निगलने के जैसा...-
तुम्हें चूमना...
तुम्हें चूमना जैसे समंदर, लावा, ज़लज़ला सब चख लिया हो,
जैसे आंखें बंद करके अनंत आकाश देख लिया हो,
जैसे कोई पार करे गुमनाम सरहद को,
जैसे जलती ज़बां पे रखा जाए शहद को,
जैसे मदिरा के प्यासे को मिले मधुशाला,
जैसे भूखे के हलक में पहला निवाला,
जैसे उतरते जाएं लिबास के पेरहन,
जैसे मई की गर्मी....दिसंबर की सिरहन,
जैसे इससे खूबसूरत इनाम ही क्या है,
अब यही करना है और काम ही क्या है...-
इस्म-ओ-जिस्म =
Name(noun) of a person
and his/her body
बाहम = Together
मुनाफ़िक़ = A hypocrite
रम्ज़ = A hidden signal, hint-
जो इस्म-ओ-जिस्म को बाहम निभाने वाला नही
मैं ऐसे इश्क़ पर ईमान लाने वाला नहीं ll
मैं पांव धो के पियूं, यार बनके जो आए
मुनाफ़िक़ों को तो मैं मुंह लगाने वाला नहीं ll
बस इतना जान ले ऐ पुर-कशिश के दिल तुझसे
बहल तो सकता है पर तुझ पे आने वाला नहीं ll
है एक रम्ज़ जो तुझ पर आया नहीं कभी,
है एक शेर जो मैं तुझे सुनाने वाला नहीं ll
तुझे किसी ने गलत कह दिया मेरे बारे
नहीं मियां मैं दिलों को दुखाने वाला नहीं ll
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पहाड़ों पर होती है गहरी उदासी,
जिसे वो नदियों में बहाते जाते हैं,
ये सदियों तक कोई जान नहीं पाता,
और समुंदर खारे हो जाते हैं ll-
लाख जमाने भर की डिग्रीयाँ हो तुम्हारे पास,
छलकते आँसू माँ-बाप की आँखों के न पढ़ पाए,
तो अनपढ़ हो तुम..-
पिता है तो आंखों में सब सलोने सपने है,
पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं ll-
कतार में कई नाबीना लोग शामिल हैं,
अमीर-ए-शहर का दरबार देखने के लिए ll
हर एक घर से चिंगारियां निकलती है,
कलेजा चाहिए अखबार देखने के लिए ll-