मिलना हुआ एक दिन
अपनी ही कुछ परेशानियों से
मैंने कहा साथ चलो कुछ दूर
और अनुभव करो उस मार्ग का
जिस पर रोज़ चलता हूं मैं
तुम्हें शायद कुछ कठिन लगे
पर मैं तो अभ्यस्त हूं
दोबारा लौटना नहीं चाहता इन पर
लेकिन घर तो लौटना है
ऊबड़-खाबड़ ही सही
पर ये रास्ता तो अपना है
परेशानियां साथ नहीं लौटी पर
उनके और भी घर हैं
थोड़ी राहत मिली मुझे भी
क्योंकि रास्ते में कम आज
कुछ पत्थर हैं।-
सन्नाटे में दब जाता है
जब दिन भर का शोर-शराबा
तब रात आवाज़ देती है
तुम्हारे अंतर्मन के
उन विचारों को
जिन्हें दिनभर की व्यस्तता ने
था एक कैदी की तरह बांधा-
देखना कि भूलो मत शिष्टाचार
यदि पार भी कर लो पारावार
भाषा चाहे कुछ भिन्न भी हो
सम्मान ही है सबका आधार-
अनगिनत रातें हैं जली
तब ये भिनसार निकला है
ही स्याह पत्थरों की रगड़ से
ये अंगार निकला है
हिमनद बिछड़ते हैं तभी
कूलंकषा में वेग है
इस सस्य-शयामल भूमि में
शैलों का तन भी पिघला है-
I stay awake till the time
when the entire world sleeps
I throw out the things that
everyone wants to keep
I rarely call anyone but
my phone is in my hand
the entire day
Possibly I'm waiting for
a text from someone
which will not happen
in this life anyway
I don't know if my life
is in tangle
But I find it feasible
as it is away
from the human jungle-
हर किसी ने ज़रूरत को अपने-अपने नाम दिए हैं
कोई इसे 'घर खर्च' तो कोई 'बैंक बैलेंस' कहता है
एक परिवार चलाता है तो दूसरा भविष्य की विलासिता है-
एक शहर खो गया
जिसे हम जानते थे
एक पहचान खो गई
जिसे दो घर जानते थे
इस महानगर में आकर
सभी अहम खो गए
और अब हम भी खो गए
जिसे हम जानते थे-
इस महानगर में भी वही सूरज डूबता है
बस ऊंचे पेड़ों की जगह इमारतों के पीछे छुपता है
पर यहां भी हैं कुछ पेड़ इमारतों के जंगल में-