हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से यह बोला,
"सिलवा दो मां मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला,
सनसन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूं,
ठिठुर ठिठुर कर किसी तरह से यात्रा पूरी करता हूं,
आसमान का सफ़र और ये मौसम है जाड़े का,
न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का,
बच्चे की सुन बात कहा माता ने "अरे सलोने!
कुशल करें भगवान लगें ना तुझको जादू-टोने,
जाड़े की तो बात ठीक है पर मैं तो डरती हूं,
एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूं,
कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा,
बड़ा किसी दिन हो जाता है और किसी दिन छोटा,
घटता बढ़ता रोज किसी दिन ऐसा भी करता है,
नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है,
अब तू ही ये बता नाप तेरा किस रोज़ लिवाएं
सी दें एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आए??
-