कल मैंने तेरी बेवफाई का किस्सा आसमान को सुनाया
आज वो भी मेरी तन्हाई पर रो रहा है ।।
–शिवांशु बंसल-
नए साल का स्वागत करने हम फिर अकेले आए ,
मैं ,मेरी किताब , Music Playlist और एक कप चाय ....
– शिवांशु बंसल
-
मुझे नहीं पता किसी लड़की को छूकर कैसे लगता है , मुझे नही पता उसका हाथ पकड़कर कैसा लगता है, नही पता
उसे गले लगाकर कैसा लगता है ,, बस इतना जानता हूँ कि उसकी इज्जत करके और उसे सम्मान देकर बहुत अच्छा लगता है और ये ही मेरी " माँ" ने मुझे सिखाया है ...।।।
– शिवांशु बंसल-
वो प्यार होते हुए भी मुकर गए और हम उन्हें मुकरने के बाद भी प्यार करते रहे ...
– शिवांशु बंसल-
लोग तो तमाशा देखकर हँस रहे थे , किसी चेहरे पर एक वक्त की रोटी की मुसकान भी थी .......
– शिवांशु बंसल-
आज एक ख्वाब ने बड़ी शिद्दत से पूछा हमसे ,पूरा करोगे या टूट जाऊँ ........
– शिवांशु बंसल-
आज़ादी की इस फिज़ा में संघर्ष की गाथाएँ अनेक सुनाई जाती है ,
पर्व है मेरे देश का ,मेरी दिल्ली दुलहन की तरह सजाई जाती है ।।
– शिवांशु बंसल-
उसने इतराकर पूछा तुम्हे मुझमें क्या पसंद है
हमने भी मुसकुरा कर कह दिया "एक तू ही तो पसंद है"....
– शिवांशु बंसल-
सुना है साहेब के सात साल पूरे हो गए दिल्ली दरबार में,
आशा करते हैं ग्यारवाहा गांधीनगर में होगा ।।
– शिवांशु बंसल-