Shivanshu   (Shivajsk)
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22,अंधेरे में रहकर भी उजाला बिखेरना है,ज्यादा कुछ नहीं बस हाल-ए-दिल उकेरना है।
Joined 8 January 2019


22,अंधेरे में रहकर भी उजाला बिखेरना है,ज्यादा कुछ नहीं बस हाल-ए-दिल उकेरना है।
Joined 8 January 2019
23 AUG 2021 AT 2:15

ना माना ये मन,दिल को आखिर आवारा कर लिया है,
देखा बस तुमको,तुम्हारे बिन गुज़ारा कर लिया है,
सोचा था अब लौट फिर न जाएंगे उस रास्ते पर,
देख तुम्हे उस रास्ते का रुख दुबारा कर लिया है।

फलक से मांग कर तारों को,चांद को बेचारा कर दिया है,
मगर उकेर कर तस्वीर तुम्हारी,अंबर भी सारा भर दिया है,
मंज़ूर तो है सब,ख्वाहिश होती कहां है इश्क़ में?
पर हां! जीने का तुम्हे ,हमने सहारा कर दिया है।।

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18 AUG 2021 AT 23:04

" यूं ही नहीं आप हमारे खुदा बन गए,

हमने भी दिन किया है रातों को ,

जाग-जाग कर "

आप तो निकल गए थे कितनी दूर,

हमने ही फासलों को कम किया है,

भाग भाग कर।

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8 AUG 2021 AT 2:01

अश्रुओं की धार है,देश की पुकार है,
आनंद असीम है , अद्भुत पुरस्कार है,
चीरता हुआ समय के फेर को यूं तीव्रता से,
देख तेरे भाले से हुई, समय की हार है।

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7 AUG 2021 AT 22:33

हों शब्द मेरे पास तो,
शब्द को संवार दूं,
हो विश्व मेरे पास तुझपे,
विश्व सारा वार दूं,
बल भुजाओं का तेरी,
ले उड़ा वतन को ऊंचा,
जी करता उस लम्हें में,
सारी जिंदगी गुज़ार दूं।

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30 JUL 2021 AT 1:14

Nobody's gonna listen,
Untill your Actions begin to speak!

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28 JUL 2021 AT 1:44

गुरूर को अपने सारे , एक बिंदु पर समेटकर,
देखता 'गगन ' को भी ,तो वह ' ज़मीन ' पर लेटकर,
पा लिया स्वयं को 'शिवा', खोया है अहम को उसने ,
उड़ चला देखो वह पंछी, आसमान लपेटकर।

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16 JUL 2021 AT 1:39

सत्य के पथ से शायद मैं थक गया हूं,
एक अनचाहे भंवर में अटक गया हूं
खिसकते हुए आ गया इतनी दूर हूं कि अब,
असंभव सा है लौटना कि अब थक गया हूं।

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10 JUL 2021 AT 23:12

देखकर आइना वह ,अब मुंह फेर लेती है,
जिम्मेदारियां उसे जो,हर रोज़ घेर लेती हैं,
भूल ज़िंदगी अपनी,चलती है वो कांटों पर,
गरीब मां बाप की वह इकलौती बेटी है।

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6 JUL 2021 AT 1:20

ना पाकर कुछ भी,वे काफी कुछ पा जाते हैं,
कह नहीं पाते तो बस, लिख कर जताते हैं,
लेकर दुख हथेली पर, जाते हैं वो महफिल में,
सुन जिसे लोग सब, वाह-वाह चिल्लाते हैं।

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30 JUN 2021 AT 2:00

कुछ उठे सुबह सोए हुए ज़मीर के संग,
कुछ सोए नहीं उनमें ज़मीर जगाने को,
ए खुदा तेरे बंदे हैं हम तू तो जनता है,
फिर भी हम ही मिले हैं आज़माने को?

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