संबंधो में तार है माई ||
ईश्वर का अवतार है माई ||
राम कृष्ण भी चाहे पाना,
देती ऐसा प्यार है माई ||
~ शिवांश शुक्ला 'सरस'-
शायद वो तारा ही नही टूटा जिससे हम तुम्हें माँगते ।
आप सब ... read more
मैदान से हमने सभी को ज्ञान दिया है |
बेटे तुम्हे जग में हमी ने मान दिया है |
दो चार लीटरो की कमी इसलिए रही,
हार्दिक ने नहीं आज योगदान दिया है |
*-शिवांश शुक्ला 'सरस'*🙏🏻😌🖋
#आज_का_मैच_राहुल_जी_के_साथ-
मुझको ही पैगाम लिखा था क्यो तुमने ।
मेरे दिल को धाम लिखा था क्यो तुमने ।
जब लोगों ने पूछा आशिक कौन तेरा
तब भी मेरा नाम लिखा था क्यो तुमने ।-
हम तो दिन को भी राते कहें जा रहे
शांत हो करके दुख सब सहे जा रहे
दिल जो टूटा अगर तो है कुछ गम नहीं
टूटा दिल लेके हम है जिये जा रहे
शिवांश शुक्ला (सरस) 🙏🖋— % &-
जख्म जो है मिले वो भरेगें नहीं..
दीप जो है बुझे वो जलेगें नहीं..
मर के जाना प्रथा है सो मर जाएगें
गीत मेरे कभी ये मरेगें नहीं...
-शिवांश शुक्ला ( सरस) 🙏🖋— % &-
वक्त बेवक्त न अपना जाया करो...
बात जो हो सही मान जाया करो...
हार कर जीत मिलती तुम्हें हो जहाँ..
हार अपनी वहाँ मान जाया करो...
-शिवांश शुक्ला (सरस) 🙏✒️🖤— % &-
गाँव गाँव और शहर शहर में घूमत फिरत है नेताजी....
जनता केरे वोट के खातिर पाव पड़त है नेताजी....
विकास अगर जो चाहत हो तो वोट दे दियों हमका तुम...
ऐसे झूठे वादे दिन भर करत रहत है नेताजी.....
-शिवांश शुक्ला (सरस) 🙏🖋— % &-
कलम की मात (माता) मेरी बात बस इतनी सी सुन लीजे.....
दया का हाथ रखकर बालकों को सारे गुण दीजे.....
मैं मुक्तक, छन्द गाऊँ गीत गाऊँ या कोई मतला....
मेरी माँ शारदे मेरे कण्ठ से तेरी ही धुन गूंजे.....
- शिवांश शुक्ला (सरस) 🙏🖋🙏-
बचपन वाली रेस कहाँ है...
बूढों के वो बेत(लाठी) कहाँ है...
पक्की हो गए दुनियाँ सारी...
मिट्टी वाले खेत कहाँ है...
-
इस चमन में अमन को बढाते रहो....
प्रेम में नित निरन्तर नहाते रहो....
जिस दिवस को मिला ये अमन मुल्क को...
उस दिवस को हमेशा मनाते रहो....
- शिवांश शुक्ला (सरस) 🙏✒️🙏-