फूलों की महक ...
तू कभी सीने से लगा के तो देख
मैं अब भी तेरा ही हूँ ...
तू बस एक बार बुला के तो देख
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Wish me on 20th March🎂🎂🎂
Happy to be the part of Ben-Hur Public Scho... read more
अँधेरे में खोकर कहीं गुम-सा हूँ मैं
तू चिरागों को बुलाकर सवेरा कर दे
मैं बहुत समय से एक अधूरा कागज़ हूँ
तू बस एक बार पढ़कर मुझे पूरा कर दे
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कुछ रिश्ते कच्चे धागो के
संगीत शुशोभित रागो के
संसार में प्रेम का नाम लिए
निष्काम साथ सम्मान लिए
भाई के शुभ मंगल में खुश हैं
आज बहना घर आई सब खुश हैं
इस कलयुग की काली माया में
उस लड़ते प्रकाश की छाया में
इस कलाई पर एक बांध कवच
दुनिया में सबसे निर्मल स्वच्छ
वो रिश्ते आसमान में छाए हैं
आज हाथों पर बंधकर आए हैं
है वो सबके मन की दुलारी जो
लड़ती है पर है सबसे प्यारी जो
हँसती है और मस्ती में रहती है
और राखी बांध मुझे कहती है
उस राखी की मोल बढ़ाना है
भाई रक्षा का धर्म निभाना है-
तेरी सुबह सवेरों की बातें
वो यादों में गुज़री थी रातें
आँखों के सागर से बहकर
तेरा साथ अधूरा-सा सहकर
वो प्यार न दिल से मिटता है
कुछ अधूरा होकर भी उठता है
तेरी बातों में तेरी कहानी में
गुमसुम-सी तेरी रवानी में
एक ओर खड़ा दीवानों से
लड़ता मैं लाखों तूफानों से
पर वो प्यार न दिल से मिटता है
कुछ अधूरा होकर भी उठता है-
कभी फुरसत से मेरे घर आया करो
दिल लिया है तो दिल से मिलाया करो
तांक पर जो हैं बिखरी ... टूटी प्यालियाँ
कभी जाम हमको उन्ही से पिलाया करो
वो बातें दिलों की ... यूहीं रह गयीं
हम बढ़ते ही रहे ... वो वहीं रह गयीं
यह कहना गलत था की हम मर गए
हम लड़ते ही रहे ... वो खड़ी रह गयीं
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वो जब छोड़ा था तूने मुझे एक शाम
तो यहाँ के सारे जुगनू मेरे घर आए थे
होठों पर हुआ करती थी जो कभी ख़ुशी
आज उनको हम कहीं होठों पर दबाये थे
देखा होगा तुमने ... गुज़रते थे तेरी गली से हम
बताओ तो क्या कभी हम तेरे ख्यालों में न आए थे
अंधेरा करके मेरी जिंदगी से तुम कैसे चली हो आज
पता है ... अभी तो हमने तेरे नाम के दिए जलाए थे
डोर तोड़ी पतंग की मेरी तुमने उस हवा में कहीं
मगर हमने तो तुम्हारे लिए और मांझे मगाये थे
मुसाफिर थे सनम हम भी वो किसी दौर में तेरे
अफ़सोस फिर भी हमने तेरी राह के पत्थर कमाए थे
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जो लबों पर लिखा हमने
उन आँखों ने भी जाना था
मोहब्बत की वो कशिश को
इस ज़माने ने भी माना था
लगा था आसमां को पाने मैं
मगर वो ज़रा चाँद टूटा था
मैं जिससे प्यार करता था
वो प्यार मुझसे रूठा था
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हाँ ! रातें टूट जाती हैं
वो बस एक चाँद लाने में
सिफारिश छूट जाती है
उन ख्वाबों को सजाने में
समंदर भूल गया खुद की
वो औकात को हाँ ! यारों
दरिया का छोड़कर वो साथ
लगा है वो खुशियाँ मनाने में
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के मोहब्बत की जमीं है ये
तुम हमको बस्ती में छोड़ दो
सलाखों की बेड़ियाँ हाथ की
हाँ ! तुम नज़्मों से तोड़ दो
ग़र तोड़ना ही पड़े वो रास्ता
जिस पर बहार लाए हम
तो कोशिश करके देख लो
ज़रा इन लकीरों को मोड़ दो
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वो हवा में तेरी खुशबू
हाँ ! मुझे याद आती है
फ़िज़ाहो में कमी तेरी
हाँ ! मुझ को रुलाती है
नज़रों में फासालें तो हैं
पर इस जिंदगी में ए जां
मोहब्बत की नहीं जाती
मोहब्बत हो जाती है
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