Shivani Yadav   (Shivani Yadav)
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Joined 2 March 2021


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Joined 2 March 2021
15 DEC 2021 AT 16:58

बदल गयी दिशा, दशा भी बदलेंगे
कदम बढ़े है, मन भी बदलेंगे
Trend में रहने की कोशिश हर गिज नही है
कुछ भाषा ने कुछ भाषाविदों ने सिखाया
बड़े लह्ज़े से है, अपनी उन्नति अपने में है
चलन हैं दूसरों की नकल करना
अरे जनाब आप बन्दर थोड़े ही है

मतलब सीधा है
Originality

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5 AUG 2021 AT 0:40

मैं सोचूं अच्छा तो सब अच्छा है
मैं सोचूं बुरा तो सब बुरा है,

मेरे सोचने भर से ये दुनियाँ
बदल जाये तो कितना अच्छा है,

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5 JUL 2021 AT 8:12

Knowledge is what separates being prepared and being lucky....

We seldom think of what we have, but always of what we lack....

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4 JUL 2021 AT 9:12

There are three ingredients in the good life:
LEARNING
EARNING
AND
YEARNING

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3 JUL 2021 AT 12:51

चल पड़ी है जिंदगी
सच की तलाश में
उलझनें हैं बहुत
राह में तेरी

पग- पग पर पैर पसारे
झूठ ही खड़ा है
सच की तलाश
मंजिल है तेरी

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29 JUN 2021 AT 18:36

कुरुक्षेत्र- रामधारी सिंह दिनकर जी
सप्तम सर्ग

"कौन यहाँ राजा किसका हैं ?
किसकी, कौन प्रजा हैं ?
नर ने होकर भ्रमित स्वयं ही.
यह बन्धन सिरजा है ।"

" बिना विध्न जल, अनिल सुलभ हैं
आज सभी को जैसे;
कहते हैं, थी सुलभ भूमि भी
कभी सभी को वैसे ।

"नर नर का प्रेमी था, मानव
मानव का विश्वासी,
अपरिग्रह था नियम, लोग थे
कर्म- लीन संन्यासी।

"बँधे धर्म के बन्धन में
सब लोग जिया करते थे,
एक दूसरे का दुःख हँस कर
बाँट लिया करते थे ।
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।

Can be start again to make this world more beautiful and peaceful place to live?




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25 JUN 2021 AT 18:25

क्या हम आज़ाद हैं?

समाज के अनगिनत बन्धनों से??
वर्षों से चली आ रही रुढिवादी सोच से?
और अपने आप से ???

क्या ये सच नहीं की आज भी हम कैद हैं
अपने ही बनाए जाल में।

मन में सदा उठने वाली इच्छाओं के भरोसे
समाज के नियमों को आत्मसात करने लगे है
और इस जल सागर में बहे जा रहे है।
मायाजाल में फंसे जा रहे है।

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22 JUN 2021 AT 9:21

चल ना फिर उस पेड़ के नीचे बैठे
बड़ा सूकून मिलता है
वो शीतल छाँव उसकी
और स्वच्छंद पवन
वो मधुर फल उसके
पक्षियों का मनमोहक संगीत
सब भाता है मुझे
उस पेड़ को देखकर
ही मन खुश हो जाता है
चल ना फिर उस पेड़ के नीचे बैठे🌳

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19 JUN 2021 AT 10:15

जिन्दगी कुछ तजुर्बे सिखा रही है
रुला कर हँसना बता रही है।।।।😊😊

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19 JUN 2021 AT 9:25

समानता और समता...
संविधान में छिपे हुए वो शब्द
जो सिर्फ़ किताबों में पढ़ने के लिए
याद रखने के लिए रह गये है
कभी भी समाज में और सरकार की
योजनाओं में नजर नही आते।
अलग ही रुढीवादिता का शिकार है समाज
सरकार की अलग ही रणनीतिया है

There is no equality and equity......
Fight for yourself......for your rights....
Be happy 😊😊😊


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