वो बेखबर बेधड़क चहकने वाली लड़की..
न जाने कितने दर्द समेट रखती है उन मुस्कुराते होंठो पे..
अपने आंसुओं को कभी भी बाहर निकलने की इजाजत नहीं देती..
क्योंकि उसने कभी नहीं खोले अपने हृदय के द्वार..
वो स्वतंत्र होकर कभी न बहा सकी अपनी असहनीय पीड़ाओं को..
वो कभी नहीं भर पाई अपनी आत्मा पर लगे खाहियों जैसे घावों को..
उसे कभी नहीं सुना गया उसके शब्दों उसके भावों में..
उसे सदैव सुना गया समाज के कानों से...
वो सींती रही उन घावों को बस उम्मीद के धागों से..
चूड़ियों की खनक में पहन जिम्मेदारियों को..
झोंक दिया चूल्हे की धधकती ज्वाला में अपनी ख्वाहिशों को..
फिर भी वो पागलों सी मुस्कुराती है..
खोकर खुद को खुद में ही फिर जीवन में रंग भरने लग जाती है..
हार कर भी हार नहीं मानती वो अपने नगमे गुनगुनाती है..
बेखबर हो तकलीफों से कुछ नए सपने बुनने लग जाती है..
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मैं तुम्हारा हर शाम इंतजार करती हूँ..
जैसे पापा के आने की राह तक लिया करती हूँ..
सोचती हूँ पूछोगे मेरा भी हाल तुम..
जैसे मैं अक्सर तुम्हारा दिन पूछ लिया करती हूँ..
दिन भर की थकान के बाद..
मैं तुमसे वो हंसी मजाक में अनुराग की थपकियाँ महसूस किया करती हूँ..
रंगहीन से मेरे जीवन में..
तुम्हारी अठखेलियों के रंग बिखेर लिया करती हूँ..
मैं तुम्हें बहुत याद किया करती हूँ..
हाँ बहुत याद किया करती हूँ..-
तुम्हारी फकत पलकों के नीचे हमने कई नजारे देखें हैं..
लोगों ने तो बस आंखें देखी हैं हमने तो कई इशारे देखे हैं..-
जनाब आज कल अंधेरा ढूंढना पड़ता है सिसकियों के लिए..
हम अपनो के सामने भी रो नहीं सकते..-
जीवन है कुरूक्षेत्र सा स्वयं से संघर्ष है..
साध रखा है पितु हनुमत ने मेरे सारथी श्री कृष्ण हैं..
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सत्य को संभलने में वक्त तो लगता है..
वक्त को बदलने में वक्त तो लगता है..
दुखों की तो बस औकात ही है अंधेरी रात तक..
सूरज को उस रात का सफर कर उगने में वक्त तो लगता है..-
तुम्हारे अश्कों में बहेंगे कई हादसे..
तुम अपनी आँखों में इस जहां की मुस्कुराहट रखना..-
कई ख्वाब समेट रखें हैं इन आँखों में..
हम यूँ ही रोकर इन्हें अब जाया नहीं करते..-
कभी शिकायत नहीं की तुमसे सांवरे..
अपना सर्वस्व तुम पर ही न्यौछावर कर दिया..
अक्सर मैंने मेरी अनंत पीडा़ओं को..
आंख में लगे काजल की धार के कभी बाहर ना आने दिया..-
हे माधव इस दुनिया की मुझे समझ नहीं आती रीत..
बस तुम्हें मानते हैं अपना आराध्य फिर क्यों करनी नहीं आती इन्हें तुम सी प्रीत..-