"कोरा कागज़ कम पड़ जाए,
स्याही इतनी मन में है।"-
Instagram page - unsaid_feelings406
"उम्मीद में "उम्र" गुज़र रही है
और हम "उम्र" के साथ साथ "उम्मीद" लगा रहे हैं।-
जो 🙃🥹🤕गुम -सा 🙇🏻♀️है मुझमें अब कहीं,🤷♀️
बस उसी 👈मे कहीं,🫰 गुम😶🌫 💭हो गया हुं मैं
कुछ- बाकी🤏😊 है,🙃 गुमसुम -सा अब भी मगर,
ना जानें क्यों कहीं, 🥀थम-सा गया हुं मैं
ढूंढू 🧐जो ख़ुद 🙇🏻♀️को मैं अगर,
क्यों पाता हुं फिर नमी🥹👀 में मगर,
इन होटों 👄से ज्यादा, आंखों 👁️🌚मे जहां🌎 🪐समाता हुं मैं
मासूमियत 🫠बिछा के पलकों पे फिर,
खुद को ढूंढने 😶🌫चला जाता हुं मैं
👣🧎♂️थम -सा गया हुं, यूं तो मैं कहीं
पर सफ़र🛣️ लंबा कुछ यूं है, की मैं रुकता नही🚶♂️💯
थकते है क़दम 👣🧎♂️तो, फ़िर चलता 🚶♂️हुं मैं
ढूंढता 🙇♂️😶🌫हुं फिर ख़ुद को,और बटौर🤲 लाता हुं मैं
ये दौर ⏰लंबा है मगर,
फ़िर भी उम्मीद😊🙇🏻♀️ भर लाता हुं मैं
रुकता हुं मगर,फ़िर भी चलते 🚶♂️जाता हुं मैं
फ़िर भी चलते 🚶♀️जाता हुं मैं-
Dekho na ye barishien
mje or kyu bhigati hai
Mausam sawan ka aata hai
Or yaadein ♥️ tumhari chali aati hai-
Ke mein ishq ♥️mei hu tere,
Alfaaz ✍️ kaha s lau
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Sometimes, something shatters into pieces in pin drop silence.
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आलम (हालत)कुछ यूं हैं की
अल्फाज (शब्द)♥️कही चुप है,
खामोशी के दरमिया(बीच)।-