अक्सर वो बेड़िया ज़्यादा मज़बूत होती हैं
जो प्रत्यक्ष रूप से दिखती नहीं है . . . . .!!-
यूँ उम्र गुज़ारना
मौत का इंतज़ार करना
साँसो का लेना यूँ
मजबूरी सा जीना
जवानी को यूँ बीतते देखना
कसक मन में जरा क़ैद रखना
बेवजह से इल्ज़ाम सहना
खून के अंशुओ को पीना
ये जमाने के ताने बाने सुनना
अपनों का यू मुँह फेरना
किसी का रुक जाना
किसी का चले जाना
एकांत को अपना लेना
अंधेरे को यूँ गले लगाना
चंद पल की वो हँसी दिखाना
रोते रोते यूँ रात बिताना
कभी निडर सा जीना
वो कभी डर से सहम जाना
घनघोर रात को यूँ देख कर बिताना
सुबह तक आँखो को सुजाना
सबकुछ सहकर भी चलते जाना ….!
ज़िंदगी का इन पंक्तियों में सिमट जाना।
ज़िंदगी है-
जो खुश थे तुमसे
अगले ही पल दुखी होंगे तुमसे
अगर
तिनके भर की इक्छापूर्ति में चूक होगी तुमसे-
झापड़ का दर्द तो कुछ देर में ख़त्म हो जाएगा
मगर उस झापड़ से लगी मार का दर्द जो मन में बसा
क्या !?
वह ताउम्र ख़त्म हो पाएगा-
बढ़ती उम्र के साथ
“बेटी बोझ है “ और “स्त्री सभी दुखों का कारण है “
इन शब्दों को practical होते देखना भी
जीवन का एक अलग अनुभव है 😇
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कोहरे से ढँके राहो में
एक झलक सी यादों ने दस्तक दी
बरसती ओस की बूँद में
एक नज़राने ने दस्तक दी
ठंडी सी इन वादियों में
एक कसक ने दस्तक दी
कोमल से इस मौसम में
एक दर्द ने दस्तक दी
धुँध इन रातों में
नम आँखों ने दस्तक दी-
कहने को बहुत मगर निः शब्द है
भावनाओं से बंधे मगर स्तब्ध है
कल्पनाओं से परे राहों में
अनगिनत इन काँटो में
कदम पल पल लड़खड़ा रहे
धीमे ही सही पल पल चले जा रहे
मोह न सुख की है अब
उत्साह कहि खो गए है अब
डोर ये सांसों की टूट जाये तो गम नही
छोर ये जिंदगी की खत्म हो जाए तो गम नही
निः शब्द है
स्तब्ध है
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The worst feeling in life......
When you want to die but ....... ¡¿¿¿
You can't-