जिसका तीर चुपके से जिगर वो के पार होता है वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है किसी से भूल कर भी अपने दिल की बात मत कहना यहाँ ख़त भी जरा-देर में अखबार होता है सी --डा कुमार विश्वास
अब तो खत भी अखबार हो गया, लो महोब्बत भी कारोबार हो गया। जो बातें किया करते थे रूह पे मरने की, आज वह भी जिस्म का गुलाम हो गया।।❣️
क्यू ना इश्क का पैमाना बनाया जाए, आँखों से इश्क को नाप के बताया जाए। दिल तक के रास्ते को नक्से पर लाया जाए, इधर-उधर की छोड़ कर सीधे मंजिल पर आया जाए।।❣️