Shivani Saini   (Shani :))
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Joined 7 April 2021


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Joined 7 April 2021
19 APR AT 13:50

हर कदम पर खुद को परख
मंजिल एक दिन तेरे सामने होगी
तू संभल कर चल और दिल साफ रख

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24 DEC 2021 AT 21:44

अजीब है इस मौसम की अदाएं भी
टपकती बूंदों के साथ है सर्द हवाएं भी

कहीं महकी है मिट्टी तो कहीं कहर बरसाएगी
कहीं हाथों पर बर्फ के गोले तो कहीं बदन जमाएगी

सर ढकने को छत नही तन - बदन काँपता सा
इससे ज्यादा और क्या होगी गरीबी कि गवाही भी

किनारे सड़क के मिले कोई ठिठुरता सा शख्श
देकर चादर कर देना उसके मर्ज कि दवाई भी

ये लाचारी,मजबूरियां इतनी तड़प देखकर
आज रो पड़ी है मेरी कलम कि स्याही भी

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17 APR 2021 AT 12:42

उसके लिए तो लफ्ज ही नही
वो एक अलग अंदाज है
लिखूं उसकी तारीफ में,
कुछ अपनी कलम से
तो खुद पर मुझे नाज है

जो खोया था अपना कुछ भी
वो सब उसमें पाया है,
मेरी बंजर सी जिन्दगी में
वो बारिश बनके आया है

दिनभर कि बातों में है वो
रातों को सपनो में छाया है,
खुदा कहूँ या फरिश्ता है वो
हर इबादत में लफ्जो पर आया है

यूँ ही नहीं है वो जान मेरी
दिल से उसे अपनाया है,
ओर इस जहांन में वो
सिर्फ मेरा बनके आया है

सब कुछ तो ना सही इन लफ्जो में
पर दिल कुछ तो कह पाया है,
ओर पीछे छोड़ मैंने सब तारों को
अपने आसमाँ का चाँद उसे बनाया है !

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30 AUG 2021 AT 22:57

तेरे बिन ज्यादा कुछ नही बदला
पर एक तन्हाई हर वक्त साथ होती है
इश्क तो अधूरा तेरा भी रह गया
फिर हर दफा क्यों मेरी मात होती है

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30 AUG 2021 AT 12:55

परम पिता परमात्मा है
कृष्ण मेरा सहारा है
इस अंधेरी सी जिंदगी का
कृष्ण ही उजियारा है
कृष्ण मेरे साथ है
कृष्ण ने थामा हाथ है
कृष्ण की ही कृपा से
बनती हर बात है
कृष्ण मेरे पास है
कृष्ण मेरे साथ है

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23 AUG 2021 AT 22:16

बेवजह मुस्कुराया कर
अपने गमों को
नई खुशियों से सजाया कर
दिल कि बातें
अपनी कलम से जताया कर
क्यों हर पल
मुड़ता है दूसरों कि तरफ
कुछ वक़्त
खुद के साथ भी बिताया कर

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15 AUG 2021 AT 11:31

तुझे मेरा सलाम
मेरा ये पैगाम
बस तेरे ही नाम
ऊँचा रखेंगे तेरा मान
बनाये रखेंगे तेरी शान
धूल बने या राख बने ये बदन
दिल में रहेगा हमेशा अपना वतन

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17 JUL 2021 AT 17:06

क्यों हमेशा रहता है एक खालीपन
क्यों होकर भी नही अपनो का अपनापन
समझ नही आता रखूँ पास
या दूर करूं ये मिट्टी सा बदन

क्यों नहीं लगती पहले जैसी ये बरसात
क्यों होकर भी नहीं है अपनो का साथ
थामकर चला करती थी कभी
क्यों छूट रहा है वो हर हाथ

क्यों मेरे पास रह गई ये तन्हाई
क्यों ना होकर भी है अपनो से जुदाई
संभालती हूँ खुद को देती हूँ दिलासा
ना जाने कब खत्म होगी ये लड़ाई

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27 JUN 2021 AT 15:39

बात छोटी है मगर गहराई है ना ,
हँसे कितना भी पर खुशियाँ मुरझाई है ना

जिंदा तो है मगर जी नही रहा ,
उसके अंदर गहरी खाई है ना

ना है उसकी बात और ना उसका साथ ,
पर याद भी ना करूँ ये तो रुसवाई है ना

बनने को बारिश सौंप देता है खुद को बादल की गोद में,
लहरों से दूर रहकर उसने कुछ कीमत तो चुकाई है ना

जरा रुक ऐ हवा ये तो बताती जा ,
मुझे छूने से पहले तू उसे छूकर तो आई है ना

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15 JUN 2021 AT 12:00

मैं कुछ इस तरह बिखर रही थी
साँसे कुछ थी दबी सी,कुछ चल रही थी
मैं कुछ इस तरह बिखर रही थी...

बहुत कुछ था कहने को,
पर सारी बातें दिल पर बोझ बन रही थी
चेहरे थे बहुत आँखों में,
जिन्हें मैं आँशुओ से धुल रही थी
मैं कुछ इस तरह बिखर रही थी

कुछ पल तक सब साथ थे,
पर मैं खुद को सबसे दूर कर रही थी
इस हद तक चुप थी,
मेरी आवाज मुझ तक भी ना पहुँच रही थी
मैं कुछ इस तरह बिखर रही थी

खुद को खुद में कैद करके,
मेरे बदन के साथ रूह भी काँप रही थी
अंदर एक तूफान था,
ओर बहार बारिश रुक नही रही थी
मैं कुछ इस तरह बिखर रही थी

सब रुक सा गया था,
बस कुछ साँसे चल रही थी
जिंदा होकर भी,
मैं तड़प तड़प कर मर रही थी
मैं कुछ इस तरह बिखर रही थी
साँसे कुछ थी दबी सी कुछ चल रही थी !!



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