कि अब वो बात नहीं जो
हर चेहरे पर हँसी ला दूँ
अब तो वो बात है कि
कुछ चेहरों के रंग ही उड़ा दूँ
हँसी भी झूठी रंग भी झूठे
हँसी ख़ुशी के पल भी झूठे
कि अब वो बात नहीं जो
तलाश करूँ खुशियों की
अब तो वो बात है कि
ख़ुद को अपनी ख़ुशी बना लूँ…..-
मंजिल को बेसब्र न हो जाना
सफर में हो जब तक
मिलने को आतुर न हो जाना
इंतज़ार में हो जब…,सुना है
कई मर्तबा लोगों को ये मंजिले
ये मिलन रास नहीं आते ।-
तेरी नाराजगी भी अब वैसी नहीं लगती
कि वजह पूछी जाए बस अब हमें तुझे
बेवजह मनाना पसंद आता है..
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इतना आसान तो नहीं बारिश में भीगा हो चेहरा
और कोई पूछ ले आकर why are you crying…?-
हर सवाल का जवाब यहाँ मिलता कहाँ है
हर जवाब के पीछे फिर एक सवाल खड़ा है
अब इश्क है तो है,हर तरह से क़ुबूल कीजिए
इसी कश्मकश को तो लोग इश्क़ कहते है…
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मोह के बंधनों से या
कुछ थोपे गए बंधनों से
क्या फर्क पड़ता है ….??
बँधना तो दोनों में ही पड़ेगा
हाँ हो कोई बंधन मुक्त आसमाँ
तो बताना उस दिन मैं भी
आजाद करूँ खुद को ..-
छूट गए वो लोग
जिनसे यारी दोस्ती बड़ी खास थी
थे तो कमउम्र बस बातें उम्र से ज्यादा थी
अनजान थे जीवन के हर कड़वे सच से
शायद इसीलिए वो यारी बड़ी खास थी..-
बंद दरवाजों की खिड़कियों से
बंद खिड़कियों के सूराखों से
झाँका करो इनके पार क्योंकि
तुम्हें इनके भीतर नहीं है बँधना
इनके पार जाकर आसमाँ को है छूना-
तुमसे हर बात कह जाना गर इश्क है मेरा
तो कुछ तकलीफें छुपाना भी इश्क है मेरा
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