क्या मंज़र है जनाब
जहाँ कल तलक सिर्फ बिकते थे ख़्वाब
वहाँ आज ज़मीर बिकते है
चंद साँसो के मोल यहाँ अब लगते है
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(Why?)
It made you to land here
Criticism & appreciation both are equall... read more
खुद को पाकर भी गुमशुदा हूँ मै
इस तीरगी मे उजाला तलाश रहा हूँ मै
खुद कोे वाकिफ करने के बहाने खोज रहा हूँ मै
पर ये सब करके भी खुद को खो रहा हूँ मै-
धोखा फ़ितरत है इंसान की
फिर भी बात करता है विश्वाश की
बिन खाए ठोकर नहीं है सफलता
फिर भी करता है भाग्य से चपलता
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कहते है वो आत्म निर्भर होगा भारत हमारा
क्या कुछ किया भी है, या सिर्फ दिया है नारा
मै ना हूँ प्याज़ खाती
सो बेकार है बात उसकी लानी
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भले ही उलझी हूँ मैं अपने ख्वाब मे
मेरी मेहनत बोलेगी मेरे जवाब मे
मुसव्वरी करते हुए ना मैने कोई रंग चुना
है वो अपना जो है मेरे संग चला-
मुफ़लिसी ज़माने की मैंने देखी है बहुत
यहाँ चंद सिक्को की खातिर बचपन बिकता है रोज़-
बेगाना सा सफर है, मंज़िल जिसकी है लापता
ना मैं तुमसे, हूँ मै खुद से ख़फा
कैसी हुयी है हमसे ये ख़ता
ढूँढ रही हूँ इन राहो मे अपनो का पता-
ऐ जिंदगी, तू भी तो मुझसे प्यार कर
कुछ गमो के बदले खुशी देने का व्यापार कर
तुझको पाने की हर किसी की चाहत है
पर फिर भी किसी को क्यों ना राहत है
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हमारे ऐसे वो पास आए
बातो मे अपनी ऐसी उलझाए
हम नादान परिंदे
अभी तक कुछ समझ ना पाये.....-