Shivani Rana  
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Joined 6 September 2018


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16 JUL 2021 AT 23:17

क्या मंज़र है जनाब
जहाँ कल तलक सिर्फ बिकते थे ख़्वाब
वहाँ आज ज़मीर बिकते है
चंद साँसो के मोल यहाँ अब लगते है

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17 APR 2021 AT 20:05

चंद लम्हे फुर्सत के जो गुज़ारे
जिंदगी के कई असरार समझ आये हमारे

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26 MAR 2021 AT 18:04

खुद को पाकर भी गुमशुदा हूँ मै
इस तीरगी मे उजाला तलाश रहा हूँ मै
खुद कोे वाकिफ करने के बहाने खोज रहा हूँ मै
पर ये सब करके भी खुद को खो रहा हूँ मै

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8 FEB 2021 AT 17:44

धोखा फ़ितरत है इंसान की
फिर भी बात करता है विश्वाश की
बिन खाए ठोकर नहीं है सफलता
फिर भी करता है भाग्य से चपलता

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8 JAN 2021 AT 22:07

कहते है वो आत्म निर्भर होगा भारत हमारा
क्या कुछ किया भी है, या सिर्फ दिया है नारा
मै ना हूँ प्याज़ खाती
सो बेकार है बात उसकी लानी

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21 DEC 2020 AT 16:52

भले ही उलझी हूँ मैं अपने ख्वाब मे
मेरी मेहनत बोलेगी मेरे जवाब मे
मुसव्वरी करते हुए ना मैने कोई रंग चुना
है वो अपना जो है मेरे संग चला

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22 NOV 2020 AT 12:50

मुफ़लिसी ज़माने की मैंने देखी है बहुत
यहाँ चंद सिक्को की खातिर बचपन बिकता है रोज़

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17 NOV 2020 AT 16:54

बेगाना सा सफर है, मंज़िल जिसकी है लापता
ना मैं तुमसे, हूँ मै खुद से ख़फा
कैसी हुयी है हमसे ये ख़ता
ढूँढ रही हूँ इन राहो मे अपनो का पता

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29 OCT 2020 AT 17:18

ऐ जिंदगी, तू भी तो मुझसे प्यार कर
कुछ गमो के बदले खुशी देने का व्यापार कर
तुझको पाने की हर किसी की चाहत है
पर फिर भी किसी को क्यों ना राहत है

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9 OCT 2020 AT 13:27

हमारे ऐसे वो पास आए
बातो मे अपनी ऐसी उलझाए
हम नादान परिंदे
अभी तक कुछ समझ ना पाये.....

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