नहीं मांगती बो हक़ अपना
न मांगा करती किसी से वक्त है।
आंखों की झुरियां बयान करती हैं हाल उसका
की खुदकी क़दर किए अर्शा बीता हो जैसे।
ज़िंदगी जीना सिखा रही है वो मगर
ख़ुद ही जिंदगी के मायने भूल रही है।
शायद इसीलिए ख़ुदा ने बनाया उसे
ख़ुदा का दूसरा रूप मां है।
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Qki nazar ka ilaaz to mumkin h
Par nazariye ka nhi..
ये जानती हूं की गलती मेरी होती है।
पर फिर भी हां मैं बहुत झगड़ती हूं उससे
बात बात पर हर छोटी बात पर
जानबूझ कर करती हूं बहस उससे
ये जानती हूं की है परेशान बो
मैं और परेशान करती हूं उसको
मैं जानती हूं कोई नहीं मेरी मां जैसा दूसरा।
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एक लड़की को बेहिसाब प्यार
बस उसके पापा ही कर सकते है।
शायद इसीलिए
तो बेटियां सेहजादियां हुआ करती हैं
अपने पापा की-
माँ
एक छोटे से शब्द को
कितना अनमोल बनाती है
शायद इसीलिए तू
माँ कहलाती है
तेरे छूने भर से तकलीफ़
दूर हो जाती है
शायद इसीलिए तू
माँ कहलाती है-
माँ के जैसी दूसरी कहां कोई और होती है।
नौ महीने पालती है अपनी कोख में हमको
बो सिर्फ़ माँ होती है।
हमारी परेशानी के आगे भूल जाती है बो
अपने सभी गमों को
बो सिर्फ़ माँ होती है ।
माँ के जैसी दूसरी कहां कोई और होती है।
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first thing true friendship.
second thing sharing happiness.
The third thing is to maintain friendship even after being far away-
ना सूरत ना जात देखकर
ना उम्र ना शोहरत देखकर
ना किसी मतलब से होती है
ये सच्ची दोस्ती है जनाब
बिना किसी मतलब से हो जाती है।
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जब हम अकेले होते हैं
कुछ एहसास जो दिल के करीब होते हैं
उन्हें लिख दिया करते हैं।-
यूं तो ख्वाहिशें बेहिसाब हैं हमारी
मगर हर ख्वाहिश पूरी हो
ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं हमारी।-
गर्मी के इस मौसम में
ये ठंडी सी हवाऐं
ठंडी सी इन हवाओं में
ये प्यारी सी बारिश
और प्यारी सी इस बारिश में
गर्म अदरक वाली चाय
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