हूँ मैं एक परिंदा तेरी चौखट से उड़
जाऊंगी माँ..!
फिर शायद कभी न आऊंगी माँ..
याद आएंगी तेरी तपकियां.
याद आएंगी तेरी वो लोरियां.
जिनको शायद कभी न भूल पाऊंगी माँ.
हूँ मैं एक परिंदा तेरी चौखट से उड़ जाऊँगी माँ
तेरी वो फिक्र भरी बातें, वो बिना कुछ बोले ही समझ
जाना फिर याद तेरी दिलाएंगी माँ...
तेरी चौखट से उड़ जाऊंगी माँ..............-
मिले थे लाखों किरदार हमारे हक मे तब
एक जमाना होने को है....
पर हमें एक खाली पन्ने की तलाश थी
जिसमें जिदंगी की लाखों तारीखें
सैकड़ो सवाल भरने थे.....
कुछ इतहास तो कुछ वर्तमान लिखने
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यादों का शिलशिला चल
रहा है उन गुमराह राहों से
जिनकी हस्ती मिट गई है
उनके किरदारों से.....
मंजिल की आस रह गई है
इस जहन में, बस क्योंकि
सोच बंध गई है इन पर....... . . ..-
आहिस्ता से वो आए मेरी जिंदगी में..
कुछ इस कदर कि मुझे भी खबर ना हुई..
जगमगा गए रास्ते मेरे
और मंजिल मिल गई......
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Abhi kuch or the wo
Abhi kuch or ho gye.
Wo itne hmare ho gye..
Jitne hm khud nhi hue hmare..
Hme jrurt h unki wo bhi yhi khte h..
Phir kyu hr raat wo sirf spno m hmse.
Milte h.......!
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M kisi layak nhi hu papa
Sorry aaj tk maine aapko
Kbhi ye mhsush hone nhi diya ki m
Beti hu but aaj maine aaj aapko
Dikha hi diya ki m ek beti hu
😭-
एक तरफा थे हम..
एक तरफा था प्यार भी हमारा.....
हम यहाँ जीने मरने की कसम
खाते रहे..............
और उनको न था हमारा उनके पास
रहना गवारा........-
रोज लडती हूँ तुझसे एक पल के लिए.
ऐ जिंदगी तू कभी नाराज क्यों नहीं होती..
रूठ जा ना एक दिन............
फिर रोज लडने का मौका ही ना दे....-
तुझे पता है तेरी एक मुसकान से
कितनों के चहरों खिल उठते हैं...
तू रोता नहीं है, पर मन करता है तेरा भी
किसी अपने को गले लगा कर रोने का...
तेरे साथ ही कितनों की आखें गीली हो जाती है.......
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माँ बाप कभी खुद बूढ़े नहीं होते
उनको उनके बच्चों की फिक्र बूढा बना देती है
उनके भी कई शौख होते हैं...
जो शायद वो हमारी वजह से पूरे नहीं
कर पाते.........
इसीलिए तो वो लोग अपने बच्चों की
कामयाबी को ही अपना सपना बना लेते हैं...-