आसान नहीं है ख़ुद को भुला किसी को "अर्पण" हो जाना....
इतना आसान कहाँ है किसी के "लक्ष्य" को ख़ुद "समर्पण" हो जाना....🙇🏻♀️
'विरह' 'विरक्ति' 'मोह' और 'समाज' के दर्पण के आगे "अडिग" रखना ये मन है....
"आत्मा" बन साथ चलना है..और नित नए "काँटों" से जुझता दामन है....🙌🏻✍🏼-
ये कलम की ताकत है, आप सब के प्यार से च... read more
भातृ प्रेम की पराकाष्ठा की.....भिलनी के इन्तजार की....माँ अहिल्या के उद्धार की....मर्यादा और सतीत्व की.....हनुमान जी की भक्ति की......सुलोचना...उर्मिला जैसी नारियों की शक्ति की....रावन मरण की..अंहकार के दमन की....राम जी के अयोध्या जी में आगमन की......समुन्द्र मंथन की....श्री के पुनः संसार से बंधन की.....बधाई हो सबको "दीपावली" पावन की....राम राम दीयाली गा....🙏🏻🙏🏻🙌🏻🙌🏻🤞🏻🤞🏻😇😇🧿🧿
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हमारे शिकायत भर करने पर वो "सुलग" से जाते है अपने बचाव में..;
सोचिए जनाब आपने तो उन "अंगारों" पर हमें नचाया है..!-
झूठी ही सही तालियाँ बजाते रहिएगा जनाब.....
क्या पता कब ये शब्दों के अंगारे आपके झोंके से मशाल जला दे कोई नई..!🤝✍️-
ना "शिकायत" किसी से ना किसी के "अहम" का शिकार होना है,
सब "हिसाब" वो खुद ले लेंगे अब जो होना है वो उनकी "अदालत" में होना है!!-
गलती हमारी ही थी कि हम सबको "अपना" मान लेते थे,
सच तो ये है कि यहाँ तो 'अपने' भी "अपना" नहीं मानते !-
ना सदा "अच्छाई" देख पाऊँगी मैं,
ना ही सिर्फ "बुराईयां" ही खोजती रहूँगी;
कुछ हममे से तुम "बुरा" नजरअंदाज कर देना,
कुछ तुममें मैं अनदेखी "अच्छाई" ढूँढ लूँगी....!!-
आज का चन्द्रोदय कुछ ख़ास होगा.....
क्यूँकी आज उसपर "तिरंगे" का राज होगा!🇮🇳
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लिख देते है अपने "ज़ज्बातों" को बिना नाम दिये;
अब 'कलम" और "शब्द" कहाँ रिश्ते पूछते है...!!-
अपनी "ख्वाहिशें" हमें "जरूरतें" लगती है,
औरौं की "ज़रूरतें" भी "ख्वाहिशें" दिख जाती है;
ये "पैसा" भी ना न जाने क्या क्या रंग दिखाता है,
"नज़रिया" सिर्फ़ अपनी ही बारी में न जाने क्यूँ सही हो जाता है।-