शब्द नहीं जज़्बात थीं
जज्बातों के साथ एहसास घुला था
एहसासों पर विश्वास था
विश्वासों में लिपटा आशा थीं
पर बात ख़त्म हुई, कहानी का समापन हुआ
जज़्बात एहसासों में घुलकर आंखों से बह गई,
विश्वास कांच बन टूटकर, सीने में चुभ गई
आश अधूरी ख़्वाब ,बन बिखर गई...-
MAA is not only word it's feeling
which cannot be expressed,
it is felt..-
में
एहसासों के बिस्तर पर
सुकून की चादर ओढ़े
प्रेम की खुशबू भरे बाग में
चाहत की नींद भर सो जाऊ मैं ...-
इक जिंदगानी हो
जिसमें सुकून हो, प्रेम हो,
शांति हो, एहसासों का कद्र हो,
जिनमें डर ना हो खोने का,
बिखरने का, टूटने का, किसी के दूर जाने का,
ख्याबों की एक ऐसी ही जिंदगानी हो....-
जब आस-पास के अपनों से अजनबियत की खुशबू आने लगे ,
और ख़ुदकी मौजूदगी में अधूरेपन
का एहसाह होने लगे, तो वह अकेलापन हैं...
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दिल करता है
हौसलों का पंख लगाकर
उम्मीदों के हवाओं संग
ख्वाइशों के आसमान में
कहीं दूर उड़ जाऊ मैं
इस दुनियां की फरेबी
हकीकत से दूर होकर
खुद में गुम हो जाओ मैं...
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भरके रोशनी के स्याही से
हवा जब आई पढ़ने
तब छिप गए थे शब्द सारे
शाम के चादर में ...-
कुछ अधूरे ख़्वाब,शब्द बन बिखर गए हैं
बीते कुछ मीठी यादें खुशबू बन ,महक रहे हैं
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