Shivani Kumari  
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Joined 3 June 2020


Joined 3 June 2020
13 MAY AT 11:08

शब्द नहीं जज़्बात थीं
जज्बातों के साथ एहसास घुला था
एहसासों पर विश्वास था
विश्वासों में लिपटा आशा थीं
पर बात ख़त्म हुई, कहानी का समापन हुआ
जज़्बात एहसासों में घुलकर आंखों से बह गई,
विश्वास कांच बन टूटकर, सीने में चुभ गई
आश अधूरी ख़्वाब ,बन बिखर गई...

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11 MAY AT 13:20

MAA is not only word it's feeling
which cannot be expressed,
it is felt..

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10 MAY AT 7:54

में
एहसासों के बिस्तर पर
सुकून की चादर ओढ़े
प्रेम की खुशबू भरे बाग में
चाहत की नींद भर सो जाऊ मैं ...

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9 MAY AT 7:52

इक जिंदगानी हो
जिसमें सुकून हो, प्रेम हो,
शांति हो, एहसासों का कद्र हो,
जिनमें डर ना हो खोने का,
बिखरने का, टूटने का, किसी के दूर जाने का,
ख्याबों की एक ऐसी ही जिंदगानी हो....

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5 MAY AT 20:41

जब आस-पास के अपनों से अजनबियत की खुशबू आने लगे ,
और ख़ुदकी मौजूदगी में अधूरेपन
का एहसाह होने लगे, तो वह अकेलापन हैं...

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16 APR AT 11:59

सबकी अपनी नज़र
और सबका अपना नज़रिया..

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9 APR AT 11:07

दिल करता है
हौसलों का पंख लगाकर
उम्मीदों के हवाओं संग
ख्वाइशों के आसमान में
कहीं दूर उड़ जाऊ मैं
इस दुनियां की फरेबी
हकीकत से दूर होकर
खुद में गुम हो जाओ मैं...

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9 APR AT 10:40

कई बार कुछ पाने की चाह
रातों की नींद गवा देती हैं..

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7 APR AT 11:23

भरके रोशनी के स्याही से
हवा जब आई पढ़ने
तब छिप गए थे शब्द सारे
शाम के चादर में ...

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18 MAR AT 22:00

कुछ अधूरे ख़्वाब,शब्द बन बिखर गए हैं
बीते कुछ मीठी यादें खुशबू बन ,महक रहे हैं

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