एक अधूरी सी जिंदगी जी रही थी
थोड़ी बेढंगी तो थोड़ी बेरंग सी।
कमी तो न थी जिंदगी में कभी किसी चीज की
फिर भी न जाने किसकी कमी महसूस होती थी।
फिर आप आए आसमानी रंग संग लेकर
मैं भी रम गई जैसे उसी आसमानी रंग में।
अधूरी जिंदगी जैसे पूरी सी हो गई
मैं बेढंगी भी अब संवारने लगी।
हम मिले,बाते बढ़ी,खट्टी मीठी सी नोकझोक भी बहुत हुई
बहुत सारी रूकावटे आईं,बहुत सारी बातें भी हो गई।
पर कहते है न जिसको भगवान मिलाए उसे कौन दूर कर पाए
आप मेरे जिंदगी बन गए, और मैं आपकी अर्धांगिनी।
और अब ऐसा है,मेरी खुशियां आपमें है
मेरे पर हक,मैं सिर्फ आपको देती हूं।
जब तक ये सांस है तब तक इसकी हर धड़कन आपकी है
बदले में बस जिसपर हक सिर्फ मेरा है वो मुहब्बत चाहती हूं।
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