Shivani Gola   (Shivani gola)
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Joined 6 April 2018


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31 OCT 2023 AT 14:53

वक्त ठहरता है
कभी कभी ऐसे
बचत वाली खेरीज, अम्मा ने बाँधी है
पल्लू के कोने में, जैसे

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3 SEP 2023 AT 21:17

मौन का सारांश है
अनंत ब्रह्मांड में
अनंत आकाशगंगाओं का
उत्पन्न और ध्वस्त होना
अड़चन और शोर के बिना
मौन में गुथती है, ऐसे कहानियां

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21 AUG 2023 AT 22:50

जिन पत्तों पर हमने दाव खेले
वो किसी और ताश की गड्डी के निकले

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20 AUG 2023 AT 22:32

संगमरमर पर तराशी गई नक्काशी
सिर्फ जहन की उपज नहीं हैं
बारीकी से कामियों को भी ढूंढा है
छैनी, हथौड़ी ने चोट देकर

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19 AUG 2023 AT 21:35

हर चमकती चीज सूरज नहीं होती
कुछ चीजें सूरज की रोशनी में चमकती है
उनका अपना वजूद होता है
वो बस सूरज नहीं होती

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16 AUG 2023 AT 23:13

भूल जाओ कि तुम पर क्या नहीं है
चौकस रहो कि तुमको क्या चाहिये
ख़्वाहिशों की पतंग की डोर, किसी चरखी से नही बंधती
मन की अतरंगी आवाज़ें, यूँ ही टहलने नहीं निकलती
परिंदों ने उड़ानें भरी, और नापने आसमाँ निकले
थकने पर सुकून जो ढूँढा, तो गगन में ठौर ना मिले
महकने के लिये सुर्ख़ लाल गुलाब, खिल तो जायेगा
क़िस्मत है उसकी, अंत में सूखकर, जमीं से मिल जायेगा
कौन बताता है कि, मंज़िल ग़लत है या सही है
अर्जुन, कर्ण बनो ना बनो, जीवन को कुरुक्षेत्र समझना सही है

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15 AUG 2023 AT 23:24

दो पलड़ों वाली किवाड़
लौटकर आने वालों के इंतज़ार में
आधा पलड़ा अक्सर खुला रखती है
प्रेम और उम्मीद में हिसाब किताब रखती है
कि, लौटने वाले ने साँक़र ना खटखटायी तो
कुंडी खोलने में लगने वाले वक्त का इंतज़ार ना किया तो
गहरी पड़ी कोई झिझक उभर भी आयी हो तो
आधी खुली किवाड़ से, गुजरा वक्त झाँकता ज़रूर दिखेगा

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14 AUG 2023 AT 22:20

जैसे नयी पत्तियाँ, पूष, माघ के महीनों में
पीपल, बरगद पर नहीं फूटा करती हैं
वैसे ही शर्तें रुकावटें बन जाती है
परिवर्तन हटाकर, कठोर कर देती हैं

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13 AUG 2023 AT 14:23

कुछ भी नहीं बचता
जेठ मास की झुलसी हुयी दूबों में
फिर भी वो हरी हो जाती हैं
उम्मीदों की बूँदों में

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12 AUG 2023 AT 22:33

रहेगा नहीं कुछ भी हाथ में
एक दिन सब फिसल जायेगा
घर दुकान दौलत शोहरत
सब यहीं छोड़कर जायेगा
तू भी जहन में लोगों के
यहीं कैद हो जायेगा
कर्मों की एक पोटली
बस अपने साथ ले जायेगा
बाकी सब कुछ दिन
तेरा यही दफन हो जायेगा

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